Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi | अटल बिहारी बाजपेयी की जीवनी

Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi, अटल बिहारी वाजपेयी की पत्नी का नाम?, अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक सफर, अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तित्व

Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi: राजनीति सदा से ही एक सतत विवादित विषय माना गया है और इसी वजह से राजनेताओ पर भी विवादपन का प्रभाव साफ़ देखा जा सकता है लेकिन भारतीय राजनीतिक का सौभाग्य कि, स्व. अटल बिहारी वाजयेपी जी, भारतीय राजनीति में आदर्शवाद, कर्मवाद, कर्तव्यवाद और कर्मठतावाद के साक्षात प्रतिरुप बनकर उभरे और उन्हीं की जीवनी पर आधारित होगा हमारा ये आर्टिकल जिसमे हम आपको विस्तार से Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi में प्रदान करेंगे।

Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi

लगातार 5 दशको से भारतीय राजनीति को निय नया आयाम देने वाले हमारे प्रतिभावना और कर्मठ – स्वाभिमानी नेता श्री. अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री. पंडित जवाहर लाल नेहरु के बाद लगातार 3 बार प्रधानमंत्री बनने वाले एकमात्र प्रधानमंत्री है जिनके कृत्यो के भारतीय राजनीतिक कृतार्थ हुई है।

अटल बिहारी वाजपेयी वो राजनेता है जिन्होंने आजाद भारत की राजनीति की रुपरेखा तय करने से पहले भारत की आज़ादी के लिए अन्य राष्ट्रीय नेताओं व महात्माओ जैसे कि – राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के साथ ’’ भारत छोड़ो आन्दोलन ’’ में हिस्सा लेते हुए जेल – यात्राय की थी।

अन्त मे, केवल इतना ही कहा जा सकता है कि, संयुक्त राष्ट्र महासभा से पूरे विश्व के नेताओं को हिंदी में संबोधित करने वाले और पहली बार केवल 13 दिन के प्रधानमंत्री बनने वाले कोई और नहीं बल्कि भूतपूर्व स्व. श्री. अटल बिहारी वाजपेयी है और इन्हीं के जीवन पर आधारित होगा हमारा ये आर्टिकल जिसे आपको अन्त तक पढ़ना चाहिए।

Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi – संक्षिप्त परिचय

नामअटल बिहार वाजपेयी
जन्म तिथि25 दिसम्बर, 1924
जन्म स्थानग्वालिय, मध्य प्रदेश
पिता का नामकृष्णा बिहारी वाजपेयी
माता का नामकृष्णा देवी
पुत्रियो के नामनंदिता व नमिता ( दत्तक पुत्रियां )
भारत रत्न से सम्मानित किये गये?2014
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
मृत्यु16 दिसम्बर, 2018
मृत्यु स्थानएम्स, दिल्ली

अटल बिहारी वाजयेपी का जन्म कब, कहां और किस परिवार में हुआ था?

भारत के इन महान राजनेता और भारतीय राजनीति को आदर्शवाद के सांचे में ढालने वाले कर्मठ राजनेता अटल बिहार वाजपेयी का जन्म मूलतौर पर मध्य प्रदेश, ग्वालियर के रहने वाले एक मध्यमवर्गीय दम्पत्ति श्री. कृष्मा बिहार वाजपेयी ( पिता जी ) व श्रीमति. कृष्णा देवी ( माता जी ) नामक दम्पत्ति के यहां पर 25 दिसम्बर, 1924 मे हुआ था।

हम अपने सभी युवा राजनेताओं व युवाओँ को बताना चाहते है कि, अटल बिहार जी का जन्म मूलतौर पर 7 भाई- बहनो के साथ एक मध्यवर्गीय परिवार मे हुआ था जहां पर इनके पिताजी एक शिक्षक की कर्तव्यपूर्ण भूमिका को जिम्मेदारी पूर्वक निभाते थे और माता जी, एक कुशल गृहिणी की भांति पूरे घर का संचालन करती थी।

क्या शैक्षणिक योग्यता थी अटल बिहार वाजपेयी जी की?

हम आप सभी युवाओं को कुछ बिंदुओँ की मदद से बतायेगे कि, अटल बिहारी वाजपेयी जी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में बतायेगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

  1. अटल जी ने, अपनी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा, श्रावस्ती से पूरी की,
  2. इसके बाद अटल जी ने, अपनी स्नातक की शिक्षा मूलतौर पर लक्ष्मीबाई कॉलेज से पूरा किया,
  3. अपनी स्नातक की शिक्षा पूरी करने के बाद अटल जी ने, कानपुर स्थित DAVV College से Post Graduation in Economics की डिग्री प्राप्त की,
  4. अटल जी ने, लखनऊ के लॉ कालेज से कानून की शिक्षा प्राप्त करने का मन बनाया था लेकिन फिर पढाई मे मन ना लगने के कारण उन्होने इस फैसले को त्याग दिया और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अर्थात् RSS द्धारा जारी होने वाले मैगजीन में, Editor का काम करने लगे।

अन्त, इस प्रकार कुछ बिंदुओं की मदद से हमने आपको विस्तार से अटल बिहार वाजपेयी की शैक्षणिक योग्यता की जानकारी प्रदान की।

अटल बिहार का पारिवारीक जीवन और स्वभाव कैसा था?

अटल बिहारी जी का स्वभाव कैसा था?

सबसे पहले हम आपको बताना चाहते है कि, अटल बिहारी जी का स्वभाव बेहद कर्मठता की कठोरता के बावजूद भी कवि की कविता के समान कोमल था क्योंकि अटल बिहारी जी एक बेहद लोकप्रिय कवि के तौर पर प्रसिद्ध थे और एक साधारण स्वभाव के मालिक थे।

अटल बिहारी वाजयेपी मूलतौर पर एक अच्छे कवि के रुप में, राजनेता के रुप में, पथ – प्रदर्शक और भारतीय राजनीति के भविष्य – सृष्टा के तौर पर जाने जाते थे।

अटल बिहारी जी का पारिवारीक जीवन कैसा था?

साधारण जीवन – शैली के धनी इस बहु – प्रतिभावना भारतीय नेता, राजनेता और कवि ने आजीवन शादी नहीं लेकिन पिता होने का सुख इन्होंने प्राप्त किया क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, बी. एन. कॉल की 2 बेटियो – नमिता व नंदिता को गोद लिया था और इन्हीं के इर्द – गिर्द अपने पारिवारीक जीवन रचना की थी।

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक सफर कैसा था?

आइए अब हम आप सभी पाठको, राजनीति के विद्यार्थियो और युवाओं को कुछ बिंदुओँ की मदद से बतायेगे कि, अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक सफर कैसा था जो कि, इस प्रकार से हैं-

  1. साल 1942 मे, अटल बिहारी वाजपेयी जी का करियर एक स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर शुरु हुआ था क्योकि साल 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें अपना पूर्ण योगदान दिय़ा था व इसी दौरान अटल बिहारी वाजपेयी जी की मुलाकात, भारतीय जनसंघ के जाने – माने नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई थी,
  2. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने राजनीतिक गुरु के तौर पर स्वीकार किया और उनसे राजनीतिक के सभी दावं – पेचो का हुनर सिखा लेकिन समय के साथ मुखर्जी का स्वास्थ्य बिगड़ने लगे और अन्त मे, मुखर्जी का स्वर्गवास हो गया जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ही भारतीय जनसंघ की बागडोर संभाली और उसका प्रचार – प्रसार पूरे देश में किया,
  3. साल 1954 मे अटल बिहारी वाजपेयी जी बलरामपुर से सांसद ( एम.पी ) बने और अपनी गहरी राजनीतिक समझ के कारण बेहद आदर व सम्मानीय माने जाते थे,
  4. साल 1968 में हुई प. दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु होने की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारतीय जनसंध के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी और इसी दौरान उन्हें लगातार कुछ सालों तक नाना जी देसाई, लाल कृष्ण आडवाणी व बलराज मध्होक के साथ काम करके भारतीय जनसंध को लगातार विकसित करने का मौका मिला,
  5. साल 1977 में जब भारतीय जनसंध व भारतीय लोकदल नामक दो राजनीतिक दलो का विलय हुआ तब इस नव – निर्मित दल को ’’ जनता पार्टी ’’ का नाम दिया गया,
  6. बहुत ही कम समय मे, जनता पार्टी ने लोकप्रियता और सफलता प्राप्त की क्योंकि जनता पार्टी ने, आम चुनावो में भारी मतो से जीत हासिल की और मोरारजी देसाई, देश के प्रधानमंत्री के रुप में सामने आये और अटल बिहारी वाजपेयी जी को External Affair Minister का पद मिला जिसके कर्तव्यो व दायित्वो का निर्वाह करते हुए पडोसी देश – चीन और पाकिस्तान से बेहतर संबंधो की शुरुआत के लिए यात्रायें की,
  7. लेकिन साल 1979 में जैसे ही प्रधानमंत्री श्री. मोरारजी देसाई जी ने, प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया वैसे ही भारतीय जनसंध में बिखराव उत्पन्न हो गया जिसकी वजह से भारतीय जनसंध लगभग समाप्त सा होगा,
  8. भारतीय जनसंध में उत्पन्न आन्तरिक बिखराव की स्थिति में, साल 1980 मे जाकर अटल बिहारी वाजपेयी जी और लाल कृष्ण आडवानी जी व भैरव सिंह शेखावत ने, गठबंधन करके भारतीय जनता पार्टी ( बी.जे.पी ) का गठन दिया और अटल बिहारी वाजपेयी जी, इस पार्टी के पहले व पहले 5 सालों तक राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें,
  9. हम आपको बता दे कि, साल 1984 के चुनावो में, भारतीय जनता पार्टी को केवल 2 सीटो की वजह से हार का सामना करना पड़ा था लेकिन इस हार से निराश होने के बजाये अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, पार्टि को मजबूत किया जिसके फलस्वरुप साल 1989 के चुनावो में, 88 मतो के साथ सफलता अर्जित की,
  10. साल 1991 में, विपक्षी पार्टियों की मांग पर दुबारा चुनावों का आयोजन किया गया लेकिन इस बार भी अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में बी.जे.पी 120 मतो के साथ आगे रही
  11. अन्त में साल 1993 में, अटल बिहारी वाजपेयी जी संसद में विपक्ष के सबसे बड़े नेता बनकर उभरे और साल 1995 में अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार घोषित किया गया।

अन्त, इस प्रकार कुछ बिंदुओं की मदद से हमने आपको अटल बिहारी वाजपेयी जी के राजनीतिक करियर वाले सफर की जानकारी प्रदान की ताकि आप उनसे प्रेरणआ व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

अटल बिहारी वाजपेयी जी का प्रधानमंत्री के रुप में सफर कैसा रहा?

यहां पर अब हम आपको कुछ बिंदुओं की मदद से अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रधानमंत्री के रुप तय किये गये सफ़र की जानकारी प्रदान करेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

  • अटल बिहारी वाजपेयी जी को उनके करियर में सबसे पहले प्रधानमंत्री बनने का मौका तब मिला जब साल 1996 में बी.जे.पी का सफलता मिली और अटल बिहारी वाजपेयी जी, देश के प्रधानमंत्री बनकर उभरे लेकिन सहयोगी पार्टियों द्धारा समर्थन वापस लेने के वजह से उनकी सरकार 13 दिनो का सफर ही तय कर पाई लेकिन ये तो केवल शुरुआत थी..
  • साल 1996 से लेकर 1998 तक अन्य विरोधी पार्टियो को भी पर्याप्त समर्थन ना मिल पाने के कारण कोई स्थायी सरकार का गठन नहीं हो सका,
  • इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, कई विरोधी पार्टियो से सफल संवाद करके National Democratic Alliance ( NDA ) का गठन किया और सरकार का निर्माण किया जो कि, पहले की तरफ 13 दिन बल्कि 13 महिने का सफर करके समाप्त हुई,
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी की कर्मठ कर्तव्यपरायणता की वजह से साल 1999 में कारगिल मे हुए भारत – पाकिस्तान के बीच युद्ध मे भारत ने, पाकिस्तान को धूल चटाई और इससे अटल बिहारी वाजपेयी जी को ना केवल भारी समर्थन मिला बल्कि उनकी सरकार पर आम लोगो का विश्वास भी स्थापित हुआ,
  • इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने, पुन चुनाव जीता और इस बार पूरे 5 साल के अपने कार्यकाल का सफर तय करते हुए भारत के सतत व सर्वागिंन विकास को गति प्रदान की,
  • अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत में, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा दिया गया जिससे प्रेरित होकर अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आये और भारी मात्रा में निवेश किया,
  • पाकिस्तान से बेहतर संबंधो की उम्मीद में, अटल बिहारी वाजपेयी जी नें पाकिस्तान राष्ट्रपति परवेज मुशर्फ को भारत आने का न्यौता दिया जिसके बाद दोनो नेताओं के बीच आगरा में वार्ता हुई जिसे ’’ आगरा वार्ता ’’ के नाम जाना जाता है,
  • भारत में शिक्षा को व्यापक व जन – सुलभ बनाने के लिए साल 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत की
  • अन्त में, साल 2005 मे, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, राजनीति के सभी रुपो से सन्यास ले लिया।

अऩ्त इस प्रकार हमने आपको विस्तार से अटल बिहार वाजपेयी के प्रधानमंत्री के रुप में सफर की जानकारी प्रदान की।

अटल बिहारी वाजपेयी जी द्धारा प्राप्त सम्मान व उपलब्धियां कौन – कौन सी है?

  1. साल 1992 मे, अटल बिहारी वाजपेयी जी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया,
  2. वहीं साल 1994 मे, अटल बिहारी वाजपेयी जी को बेस्ट सांसद का अवार्ड भी प्रदान किया गया,
  3. साल 2014 मे, जाकर अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत के सर्वोच्च सम्मान अर्थात् भारत रत्न से सम्मानित किया गया जिसके लिए भारतीय राष्ट्रपति श्री. प्रणब मुखर्जी ने, सभी प्रोटोकॉल्स को तोड़ते हुए 25 दिसम्बर, 2014 को उनके घर जाकर उन्हें यह सम्मान दिया गया,
  4. हम अपने सभी राजनीति के विद्यार्थियो को बता दें कि, सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री व भारतीय प्रधानमंत्री श्री. मनोहन सिंह द्धारा अटल बिहारी वाजपेयी जी भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह की उपाधि दी गई थी।

अटल बिहारी वाजपेयी जी द्धारा भारतवर्ष को अलविदा

16 अगस्त, 2018 को भूतपूर्व भारतीय प्रधानमंत्री श्री. अटल बिहारी वाजपेयी जी ने, दिल्ली के एम्स में अपनी आखिरी सांसे ली जिसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी जी की मृत्यु का कारण बताते हुए कहा गया कि, उनकी मृत्यु निमोनिया और बहु – अंग विफलता के कारण हुई थी।

साल 2009 मे, अटल बिहारी वाजपेयी जी को अचानक स्ट्रोक हुआ था जिसके बाद वे लगातार बीमार चल रहे थे और आखिरकार 16 अगस्त, 2018 को उन्होंने भारतवर्ष को अलविदा कह दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी जी के निधन पर 7 दिन के राष्ट्रीय शौक की घोषणा की गई

16 अगस्त, 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी जी की हुई मृत्यु पर भारतीय राष्ट्रपति श्री. राम नाथ कोविंद द्धारा 7 दिवसीय राष्ट्रीय शौक की घोषणा की गई जो कि, 16 अगस्त से लेकर 22 अगस्त, 2018 तक मनाया गया और इस दौरान भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को झुकाये रखा गया।

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निष्कर्ष

हमने अपने इस आर्टिकल में, आप सभी पाठको व राजनीति के विद्यार्थियो को विस्तार से अटल बिहारी वाजपेयी जी की पूरी जीवनी अर्थात् Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi को प्रस्तुत किया क्योंकि उनके जन्मदिन को पूरे भारतवर्ष में सुशासन दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हम उम्मीद करते है कि, हमारे द्धारा Atal Bihari Vajpayee Biography in Hindi में प्रस्तुत उनकी जीवनी से आप प्रेरणा व प्रोत्साहन लेकर अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।

अन्त हम उम्मीद करते है कि, आपको हमारा ये आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा जिसके लिए आप हमारे इस आर्टिकल को शेयर करेगे और साथ ही साथ अपने विचार व सुझाव भी कमेंट करके साझा करेंगे।

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