दीपक की तरह चमकोगे तभी लोग पहचानेंगे तुम्हें | Motivational speech in hindi

दीपक की तरह चमकोगे तभी लोग पहचानेंगे तुम्हें:

प्रसिद्धि एक ऐसी चमक है जिसके लिए लोग सदियों से प्रयत्न करते चले आए हैं लेकिन कम ही लोग ऐसे होते हैं जो अपने प्रयत्नों के चलते प्रसिद्ध होते हैं।

प्रसिद्ध तो वही लोग होते हैं जिनमें कुछ खास हुनर होता है नकल करने वाले तो जीवन भर नकल ही करते हैं क्योंकि जो लोग नकल करने लगते हैं फिर उनके मस्तिष्क में नए विचार ही नहीं आते अर्थात वह नए विचारों से वंचित रह जाते हैं।

 

Motivational speech in hindi
Motivational speech in hindi

जीवन में कुछ नया करना है तो हमें अपने विचार स्वयं बनाने होंगे और उन्हें ही फॉलो करना होगा यदि हम दूसरों के विचारों पर सदैव चलते रहेंगे तो सीमित ही सफलता हासिल कर पाएंगे लेकिन यदि हम अपने विचार भी सभी से साझा करेंगे तो निश्चित ही प्रसिद्ध होंगे।

एक प्रसिद्ध व्यक्ति को देखने के लिए भीड़ इकट्ठा हो जाती है चाहे वह अपने वचनों से किसी को प्रेरित करता हो या वह कोई ऐसा कार्य करता हो जो बिल्कुल ही विचित्र हो और दूसरे लोगों उसे ना कर पाते हो क्योंकि प्रसिद्ध वही है जो कुछ नया करने की कोशिश करता है और जो कोशिश करता है वही प्रसिद्ध होता है।

दोस्तों इसीलिए मैं हमेशा आपसे यही कहता हूं की चमक ना है तो दीपक जैसे चमको ताकि तुम्हारी रोशनी से लोगों का अंधकार दूर हो जाए।

हमें किन स्थितियों में स्नान करना चाहिए:

दोस्तों वैसे आमतौर पर बात करें तो हमें रोज सुबह स्नान करना चाहिए उसके बाद ही किसी कार्य को आरंभ करना चाहिए यदि हम सुबह स्नान नहीं करते हैं तो इसके कई नुकसान रहते हैं सबसे पहला नुकसान तो यह होता है कि हमें पूरा दिन सुस्ती लगती रहती है जिसकी वजह से हमारा कोई भी कार्य ठीक ढंग से नहीं हो पाता है।

सुबह ना नहाने से हमारे शरीर में बदबू आने लगती है जिससे हमारे पास बैठने वाले लोग भी परेशान हो जाते हैं क्योंकि सभी लोग साफ-सफाई चाहते हैं लेकिन यह तो तभी संभव हो पाएगा जब हम खुद साफ सफाई रखते हैं जैसे ही आप साफ-सफाई रखेंगे वैसे ही दूसरे भी अपने बारे में सोचेंगे।

बात करें अगर सुबह के अलावा नहाने की तो यदि हम कहीं श्मशान घाट में जाते हैं और दहन संस्कार करवा कर अपने घर वापस आते हैं तो हमें घर आने से पहले ही या घर आकर तत्काल ही नहा लेना चाहिए यही उचित माना गया है।

लेकिन विद्वानों का मानना है कि यदि हम किसी को दान करने जा रहे हैं तो हमें दान करने से पूर्व ही नहाना चाहिए इससे हमारी दान पुण्य करने की शक्ति बढ़ती है ऐसा माना गया है।

तो दोस्तों इसीलिए हमें इन बातों का ज्ञान होना चाहिए।

 

इसलिए सम्मान से बढ़कर कुछ नहीं है:

दोस्तों आज के इस दौर में शायद ही कोई ऐसा होगा जो यह ना सोचता हो कि वह अमीर हो जाए लेकिन सभी अलग तरीके से सोचते हैं कोई भी व्यक्ति अमीर तो बनना अवश्य चाहेगा लेकिन सभी का नजरिया अलग होता है।

संसार में कुछ लोग ऐसे हैं जो केवल धनी होना चाहते हैं अर्थात उन्हें अपनी मान मर्यादा यह सम्मान से कोई भी मतलब ही नहीं होता है उन्हें तो बस धन की इच्छा होती है इसीलिए वह किसी से संपर्क भी नहीं रखते हैं और इसी कारण वह केवल धन की इच्छा करते हैं।

लेकिन ठीक इसी के विपरीत कुछ लोग ऐसे भी हैं जो धन की इच्छा बिल्कुल नहीं करते हैं अर्थात उन्हें अपनी मान मर्यादा और सम्मान से ही मतलब होता है और वही लोग इस संसार में धनी भी बनते हैं ऐसे लोग सम्मान तो पाते ही हैं साथ ही धनी भी होते हैं।

लेकिन ठीक इन दोनों की विपरीत कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो धन भी चाहते हैं और सम्मान भी चाहते हैं और मेरा तो मानना यही है कि जो लोग धन और सम्मान दोनों चाहते हैं वही बेहतर हैं क्योंकि जरूरतों के लिए धन की भी आवश्यकता होती है और जीने के लिए सम्मान की आवश्यकता होती है इसलिए यह दोनों जरूरी हैं।

 

सदैव दूसरों को इसलिए फायदा पहुंचाना चाहिए:

दोस्तों यदि आप किसी की सहायता करते हैं तो निश्चित ही लोगों की सहायता करेंगे लेकिन यदि आप किसी से घृणा करते हैं तो ठीक वैसे ही लोग आपसे भी घृणा करेंगे इसका उदाहरण हमें एक कहानी से मिलता है जो राजा अकबर और बीरबल के बीच हुई एक सच्ची घटना मानी जाती है।

दोस्तों एक बार राजा अकबर और उनके सेनापति बीरबल कहीं जा रहे थे रास्ते में अकबर ने बीरबल से एक प्रश्न पूछा कि कैसे पता कर सकते हैं कि कौन हम से नफरत करता है और कौन हमसे प्रेम करता है।

बीरबल ने कहा ठीक है मैं इसका उत्तर आपको अभी दूंगा।
थोड़ी दूर चलने पर राजा अकबर ने एक लकड़हारे को लकड़ी काटते हुए देखा उसी समय बीरबल ने राजा अकबर को पेड़ के पीछे छुपने के लिए बोला और उस लकड़हारे के पास जाते हैं और कहते हैं-

कि सुनो लकड़हारे अब हमारे राजा अकबर स्वर्ग सिधार गए हैं इस पर लकड़हारा लकड़ियों का गट्ठर फेंक कर खुशी मनाने लगता है और वह अपने घर चला जाता है।

अब थोड़ी दूर राजा अकबर और बीरबल चलते हैं फिर उन्हें एक बूढ़ी औरत दिखाई देती है बीरबल फिर अकबर से छुपने के लिए कहते हैं और उस बूढ़ी औरत के पास जाकर कहते हैं कि-

बूढ़ी मां अब हमारे राजा अकबर इस दुनिया में नहीं रहे इतना सुनते ही वह बूढ़ी औरत जोर जोर से रोने लगती है और कहती है कि अकबर हमारे हर हाल में साथ रहने वाले थे ये कहते हुए अपने घर चली जाती है।

अब राजा अकबर बीरबल से पूछते हैं कि बताइए इस बात से हमें क्या सीख मिली है इस पर बीरबल ने अकबर से पूछा कि पहले आप यह बताइए आप उस लकड़हारे के बारे में क्या सोच रहे थे तो अकबर ने जवाब दिया कि मैं उसके बारे में यह सोच रहा था कि वह मुफ्त में जंगल से लकड़ी काट लेता है और इसे सजा मिलनी चाहिए।

अब बीरबल ने कहा कि आप उस बूढ़ी औरत के बारे में क्या सोच रहे थे इस पर अकबर ने जवाब दिया कि मैं सोच रहा था कि यह औरत बहुत बूढ़ी है और इसे मदद के लिए पैसे देना चाहिए।

इस पर बीरबल ने अकबर से कहा कि देखिए आप जैसा जिसके बारे में सोचते हैं ठीक सामने वाला निश्चित ही आपके बारे में वैसा ही सोचता होगा।

तो मित्रों इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जैसा हम किसी के बारे में सोचते हैं ठीक वैसा ही वह हमारे बारे में भी आवश्यक सोचता होगा।

इसलिए हमें सदैव दूसरों की सहायता करनी चाहिए और दूसरों के बारे में अच्छे विचार लाना चाहिए ताकि लोग भी हमारी सहायता करने के लिए उत्सुक हो और हमारे बारे में अच्छे विचार लाएं।

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