क्या गलत के साथ गलत करना चाहिए | What should go wrong with wrong

क्या गलत के साथ गलत करना चाहिए:

दोस्तों बात जब अच्छे व्यवहार की आती है तो हम सभी यही कहते हैं कि हमें सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए लेकिन क्या हो अगर आप किसी से अच्छा व्यवहार करते हैं और उसके बदले आपको उसके विपरीत व्यवहार देखने को मिलता है मेरे कहने का अर्थ यह है यदि सामने वाला आपसे बिगड़ कर बात करता है तो आपको क्या करना चाहिए।

What should go wrong with wrong
What should go wrong with wrong

 

तो दोस्तों सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि यदि सामने वाला व्यक्ति आपके साथ दुर्व्यवहार करता है तो आपको उसे पहले समझाना चाहिए.

कि देखिए मैं आपके साथ अच्छा व्यवहार कर रहा हूं तो आपको भी हमसे अच्छा व्यवहार करना चाहिए

एक बार समझाने पर या दो बार समझाने पर भी वह दुर्व्यहार करता है तो भी आपको उसे तीसरी बार समझाना चाहिए लेकिन यदि वह आपकी बात नहीं समझता है तो आपको उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसा कि वह आपके साथ करता है इससे होगा यह कि उसका व्यवहार निश्चित ही बदल जाएगा.

 

क्योंकि जब हम किसी दुष्ट व्यक्ति से प्रेम भाव से बात करते हैं तो उसके भाव बढ़ जाते हैं और यदि हम दुष्ट व्यक्ति से दुष्टता से ही व्यवहार करते हैं तो वह सोचने पर अवश्य ही मजबूर हो जाता है कि

जो हम कर रहे हैं वह सही है या गलत लेकिन यदि आप उसे दुष्टता के व्यवहार करने पर भी प्रेमभाव दिखाते हैं तो वह इस बात पर ध्यान ही नहीं देता इसीलिए हमें दुष्ट लोगों के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए।

 

मन से शुद्ध व्यक्ति इसलिए होते हैं सबके प्यारे:

दोस्तों जो व्यक्ति अपने मन से स्वयं ही शुद्ध होते हैं अर्थात उन्हें किसी के समझाने की आवश्यकता नहीं होती वह व्यक्ति सभी के दिल पर राज करते हैं।

क्योंकि जो व्यक्ति खुद में ईमानदार और दृढ़ निश्चय करने वाला होता है उसके सामने कमजोर इरादों वाले लोग घुटने टेक देते हैं और यही वह कला है जो उसे दूसरों से अलग करती है जिसके कारण दुनिया में लोग उसे पहचानने लगते हैं।

दोस्तों इस संसार में कोई भी मशहूर व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसने किसी की नकल उतारी हो अर्थात जो भी व्यक्ति अत्यधिक प्रसिद्ध वह है उसने कुछ ना कुछ अपना किया हुआ अपने जीवन में होता है क्योंकि प्रसिद्ध वही होते हैं जो अपने बलबूते कुछ कर दिखाते हैं नकल करने वाले तो बस कामयाब हो सकते हैं और इस से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता इसलिए यदि आपको प्रसिद्ध होना है तो आपको अपने खुद के विचार बनाना होंगे और उन पर ही आपको चलना होगा तभी आप प्रसिद्ध हो सकते हैं अन्यथा आप बस कामयाब हो सकते हैं।

किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए:

दोस्तों सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि यदि आपके साथ कोई अच्छा व्यवहार करता है तो आपको उसके साथ बहुत अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि सामने वाला यदि अच्छा व्यवहार करेगा और आप उससे भी अच्छा व्यवहार उसके साथ करेंगे तो निश्चित ही अन्य लोग आपसे उससे भी बेहतर व्यवहार करेंगे।

दोस्तों यह तो सभी जानते हैं चाहे हम किसी धर्म या किसी मजहब से हो लेकिन सबसे पहले यदि कुछ इस संसार में है तो वह व्यवहार ही है क्योंकि व्यवहार से ही मनुष्य की पहचान होती है और व्यवहार से ही मनुष्य सम्मान या तिरस्कार पाता है व्यवहार ही सर्वश्रेष्ठ है।

यह तो सभी जानते ही हैं क्योंकि व्यवहार से ही लोग महान होते हैं और व्यवहार से ही लोग अपनी इज्जत खो देते हैं इसीलिए हमें सदैव दूसरों से अच्छा व्यवहार ही करना चाहिए।

गुरु का होना इसलिए होता है जरूरी:

वह गुरु ही होता है जिसके चरणों में रहकर ही हम लोग सफल होने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाते हैं।

माता पिता के बाद यदि संसार में किसी का सबसे बड़ा योगदान होता है तो वह गुरु का ही योगदान होता है जो हमें किसी मंजिल की ओर ले जाने में सहायक होता है।

दोस्तों सबसे पहले तो इस संसार में मां बाप को सम्मान देना चाहिए और ईश्वर पर पूरा विश्वास करना चाहिए लेकिन मां-बाप को सम्मान देने के बाद कहीं ना कहीं गुरु का भी योगदान आपके जीवन में बहुत अधिक होता है।

एक प्रारंभिक गुरु ही हमें ऊंचे या नीचे किसी भी पद पर पहुंचाने के लिए जिम्मेदार होता है दोस्तों सबसे पहले तो हमें अपने गुरु का आदर करना चाहिए क्योंकि किसी भी मंजिल पर पहुंचना तो आसान है लेकिन उससे पहले आपको जिन कठिनाइयों से गुजरना होता है उसके लिए हमें हमारे माता-पिता या जो भी अभिभावक होते हैं वह प्रेरित करते हैं जिनमें सबसे बड़ा योगदान हमारे गुरु का होता है क्योंकि वही हमें इस तरह से शिक्षित करते हैं कि हम किस प्रकार अपने जीवन में आगे बढ़े और किस तरह से अपनी मंजिल पर पहुंच सकते हैं।

दोस्तों चाहे क्यों ना आप इस देश के प्रधानमंत्री ही क्यों ना बन जाए लेकिन उससे पहले आपको गुरु के चरणों में रहकर ही शिक्षा ग्रहण करना होगी क्योंकि बिना शिक्षा के तो मनुष्य पशु के समान बताया गया है इसलिए हमें शिक्षा अवश्य ग्रहण करनी चाहिए और वह शिक्षा हमें हमारे प्रारंभिक गुरु के द्वारा ही मिलती है इसलिए हमें अपने गुरु का आदर सम्मान करना चाहिए ताकि आप भी अगर अपने जीवन में गुरु बनते हैं तो आपके शिष्य आपका आदर सम्मान उसी प्रकार करेंगे जिस प्रकार आप ने अपने गुरु का आदर सम्मान किया है क्योंकि दोस्तों यह तो सभी जानते हैं कि जैसा हम दूसरों के साथ व्यवहार करते हैं वैसा ही हमें दूसरों से मिलता है तो इसीलिए गुरु का तो सम्मान करें साथ ही अपने बड़े और दुर्जनों का भी सम्मान और उनसे सदैव अच्छा व्यवहार करना चाहिए।

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