छठ पूजा पर निबंध 2021 | Chhath Puja Essay in Hindi

Chhath Puja Essay in Hindi पर केंद्रित इस आर्टिकल में हम, आपको बता दें कि, हमारा गौरवमायी भारतवर्ष, बारहमासी त्यौहारों का देश है जहां का हर एक पल, उत्सव की महक से सराबोर नज़र आता है, लोगों के चहरों पर हर्षो – उल्लास की रौनक नज़र आती है और साथ ही साथ एक खुशनुमा माहौल नज़र आता है।

Chhath Puja Essay in Hindi

Chhath Puja Essay in Hindi

दिवाली, होली, दुर्गा पूजा और इसी प्रकार के अन्य सभी प्रमुख त्यौहारों की भांति उत्तर भारत का सबसे बड़ा सांस्कृतिक व लोक त्यौहार अर्थात् छठ पूजा का त्यौहार पूरे उत्तर भारत विशेषकर बिहार में बड़े ही धूम-धाम और चका-चौंध के साथ मनाया जाता है क्योंकि छठ पूजा का त्यौहार जन – जन का त्यौहार माना जाता है क्योंकि छठ पूजा का त्यौहार बच्चो से लेकर युवाओं के लिए और युवाओं से लेकर बुजुर्गों के लिए अर्थात् सभी आयु के वर्गो के लिए बेहद खास, महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्यौहार है।

अन्त भारत के बिहार राज्य से अस्तित्व प्राप्त करते हुए छठ पूजा का त्यौहार, आज पूरे भारत का एक बेहद धार्मिक, सांस्कृतिक, लौकिक और लोक त्यौहार बन गया है जिसकी रौनक देखते ही बनती है और इसीलिए अपने सभी पाठकों को छठ पूजा के त्यौहार से भली-भांति परिचित करवाने के लिए हम, अपने इस आर्टिकल में आप सभी को विस्तार से Chhath Puja Essay in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे और साथ ही साथ छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?, छठ पूजा का इतिहास?, छठ पूजा कब है?, छठ पूजा का महत्व?, chhath puja par nibandh और छठ पूजा कैसे मनाया जाता है? आदि की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

साल 2021 में, छठ पूजा कब मनाया जायेगा?

हम अपने सभी पाठकों व छठ व्रतियों को बता दें कि, साल 2021 में 10 नवम्बर, 2021 को बड़े ही धूम – धाम के साथ छठ पूजा का त्यौहार मनाया जायेगा और छठी माता का आर्शीवाद प्राप्त करके अपने घर में सुख, शांति समृद्धि की स्थापना की जायेगी।

क्या है छठ पूजा का त्यौहार?

छठ पूजा का त्यौहार, बिहार के साथ ही साथ पूरे उत्तर भारत का एक प्रमुख धार्मिक व सांस्कृतिक त्यौहार है जो कि, मूलतौर पर सूर्यदेव की बहन को समर्पित पूजा होती है जिसके दौरान सूर्यदेव की अति भक्तिपूर्ण अराधना की जाती है जिससे ना केवल सूर्यदेव प्रशन्न होते है बल्कि उनकी बहन अर्थात् छठी मईयां भी प्रशन्न होती है और हमें, लम्बी आयु, खुशियों और संतोष का आर्शीवाद प्राप्त होता है।

छठ पूजा का त्यौहार कब मनाया जाता है?

जैसे ही अक्टूबर का महिना शुरु होता है वैसे ही पूरे भारत में, उत्सवों व त्यौहारों का मौसम शुरु हो जाता है और चारों तरफ हर्षो – उल्लास का एक सुखद माहौल बन जाता है जिससे हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है क्योंकि अक्टूबर महिने की शुरुआत से ही दिपावली के त्यौहार का इंतजार शुरु हो जाता है जो कि, भारत का सबसे बड़ा व लोकप्रिय त्यौहार मनाया जाता है जो कि, ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

लेकिन, हम आपको बता दें कि, भारतवासियों का ये इंतजार केवल दिपावली के साथ ही समाप्त नहीं होता है बल्कि दीपावली के 6 दिन बाद मनाये जाने वाले छठ पूजा के साथ ही समाप्त होता है जो कि, किसी भी मायने में, दिपावली से कम आतिशबाजी वाला त्यौहार नहीं होता है बल्कि कई मायनों में बेहद उत्साहवर्धक, रोमांचक, भव्य, प्राकृतिक और हर्षो – उल्लास से परिपूर्ण त्यौहार माना जाता है।

आइए अब हम, अपने सभी पाठको को बताते है कि, छठ पूजा का त्यौहार कब मनाया जाता है? सूर्यदेवता की अटूट आस्था व भक्ति की एकमात्र प्रतीक कहे जाने वाले इस त्यौहार अर्थात् छठ पूजा का त्यौहार को मूलतौर पर हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है जो कि त्याग, तपस्या और अखंडता का महापर्व माना जाता है।

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?

आस्था को इस महापर्व को मानने के पीछे कई सांस्कृतिक व धार्मिक मान्यतायें स्थापित होती है और यहां पर हम, अपने सभी पाठकों को कुछ बिंदुओं की मदद से बतायेंगे कि, छठ पूजा क्यों मनाया जाता है जो कि, इस प्रकार से हैं-

  • सूर्य देवता की अखण्ड उपासना के लिए

छठ पूजा का त्यौहार मूलतौर पर सूर्य देवता की अखण्ड उपासना के लिए मनाया जाता है जिसके दौरान छठ व्रतियों द्धारा 36 घंटों का निर्जला व्रत रखा जाता है ताकि सूर्य देवता को प्रशन्न किया जा सकें और उनकी उपासना करके उनका आर्शीवाद प्राप्त किया जा सकें।

  • छठी मईयां का आर्शीवाद पाने के लिए

छठ पूजा, वास्तव में, छठी मईयां की पूजा होती है जो कि, सूर्य देवता की बहन है और इन्हीं को प्रशन्न करने के लिए छठ पूजा के रुप में, सूर्य देवता की आराधना व पूजा की जाती है ताकि छठी मईयां को प्रशन्न करके उनका आर्शीवाद प्राप्त किया जा सकें।

  • संतान प्राप्ति के लिए छठ पूजा मनाया जाता है

छठ पूजा को मनाने का सबसे प्राथमिक व मूल कारण यह होता है कि, हमारी वे सभी मातायें व बहनें जो कि, संतान सुख से वंचित होती है और समाज द्धारा उन्हें बांझ कहकर निंदित, तिरस्कारीत और अपमानित किया जाता है उन्हें संतान की प्राप्ति हो सकें और वे मातृत्व के सुख को प्राप्त कर सकें।

इसीलिए आमतौर पर, छठ पूजा का त्यौहार हमारी माताओँ व बहनों द्धारा संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है ताकि उनकी खाली गोद भर सकें और वे समाज में, एक मां के रुप में दर्जा प्राप्त करके मातृत्व का सुख प्राप्त कर सकें।

  • सुख व समृद्धि की प्राप्ति के लिए छठ पूजा मनाया जाता है

छठ पूजा, घर की महिलाओं द्धारा पूरे घर – परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है ताकि सूर्य देवता व छठी मईयां के आर्शीवाद से उनके घरों में खुशहाली बनी रहें, घर का विकास हो और साथ ही साथ घर मे सुख – समृद्धि की माहौल बना सकें व

  • प्रकृति के संरक्षण के लिए भी छठ पूजा मनाया जाता है

आपको जानकर हैरानी होगी कि, छठ पूजा का त्यौहार, प्रकृति के संरक्षण के भी मनाया जाता है ताकि लोगों को प्रकृति के संरक्षण के प्रति जागरुक किया जा सकें और प्रकृति को सुरक्षित किया जा सकें। छठ पूजा ना केवल एक सांस्कृतिक त्यौहार बल्कि साथ ही साथ छठ पूजा एक प्राकृतिक त्यौहार भी है क्योंकि छठ पूजा का त्यौहार प्रकृति के बेहद करीब माना जाता है जिसका मूल कारण ये है कि, छठ पूजा की शुरुआत से लेकर अन्तिम विधियों तक सभी में प्राकृतिक वस्तुओं अर्थात् जैसे कि – फलों, सब्जियों, पत्तो व अन्य सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। इसीलिए छठ पूजा का त्यौहार, प्रकृति के संरक्षण के लिए भी मनाया जाता है।

वहीं दूसरी तरफ छठ पूजा का पूरा आयोजन नदियों व पोखरों के किनारें डूबते सूर्य व उगते सूर्य को अर्ध्य देने से होता है इसलिए छठ पूजा के माध्यम से हम, अपनी नदियों व पोखरों की साफ़ – सफ़ाई के प्रति भी सचेत होते है जिससे हमारी प्रकृति का संरक्षण होता है।

उपरोक्त सभी कारणों से हमने आपको बताया कि, छठ पूजा का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ताकि आप इसके महत्व को समझ सकें और इसकी प्रासंगिकता को महसूस कर सकें।

कहां – कहां छठ पूजा का त्यौहार मनाया जाता है?

भारत, त्यौहारों का जन्मदाता है क्योंकि भारत की धरती पर हर दिन, हर महिने व हर साल कोई ना कोई त्यौहार मनाया जाता है और उसी का प्रतीक है छठ पूजा, जो कि, ना केवल भारत के अलग – अलग राज्यों में बल्कि भारतीय सीमाओं को पार करके विदेशों में भी मनाया जाता है।

हम आपको बता दें कि, छठ पूजा का त्यौहार विशेषकर हमारे बिहार में मनाया जाता है और बिहार के साथ ही साथ छठ पूजा का त्यौहार उत्तर प्रदेश, झारखंड, असम व पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में प्रमुखता व प्राथमिकता के साथ मनाया जाता है।

छठ पूजा का त्यौहार बिहार के अतिरिक्त कई भारतीय राज्यों के साथ ही साथ विदेशों में भी प्रमुखता से मनाया जाता है क्योंकि बिहार के लोग ना केवल अलग – अलग भारतीय राज्यों में बल्कि विदेशों में भी रोजगार की खोज में जाते है और इस प्रकार अपने साथ इस सांस्कृतिक धरोहर को भी साथ ले जाते है और इसी वजह से छठ पूजा का त्यौहार बिहार के साथ ही साथ भारत के कई राज्यों समेत विदेशों में भी बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

छठ पूजा के दौरान छठी माता की प्रार्थना क्यूं की जाती है?

छठ पूजा के दौरान, छठी माता की प्रार्थना का विशेष तौर पर उच्चारण व गायन किया जाता है जिसका एक विशेष महत्व मनाया जाता है क्योंकि छठ पूजा के दौरान छठी माता की प्रार्थना करने के से सभी व्रतियों को सुख – समृद्धि, धन, संतान सुख व मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और हमारे जीवन में, खुशहाली का संचार होता है।

छठी मईयां को किन – किन नामों से जाना जाता है?

छठ पूजा, बिहार समेत पूरे उत्तर भारत का एक प्रमुख व प्राथमिक त्यौहार है जिसे बड़ी ही दिव्यता- भव्यता के साथ मनाया जाता है। हम, आपको बता दें कि, छठी मईयां को कई नामों से जाना जाता है जैसे कि – डाला छठ, छठी मईयां, छठ माई पूजा व सूर्य षष्ठी पूजा आदि के नामों से जाना जाता है जो कि, ना केवल इसके अस्तित्व को निखारते है बल्कि छठ पूजा के महत्व और प्रासंगिकता का भी उजागर करते है।

छठ पूजा का इतिहास क्या है?

वैसे तो आप सभी बड़े ही धूम-धाम के साथ छठ पूजा का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन क्या आप जानते है कि, छठ पूजा का इतिहास क्या है या फिर छठी माता की उत्पति कैसे हुई?

छठी माता को, सूर्यदेव की बहन माना जाता है जिनकी उत्पत्ति की पूरी जानकारी हमें, छठी माता की कथा से प्राप्त होती है जिसके अनुसार, छठी माता को ईश्वर की पुत्री देवसेना के नाम से जाना जाता है जिनके बारे में, कहा जाता है कि, छठी माता की उत्पत्ति, प्रकृति के छठवें अंश से मानी जाती है और इसी वजह से आमतौर पर छठ माता को ’’ षष्ठी ’’ भी कहा जाता है।

छठ पूजा के महत्व को दर्शाने वाली कहानियां कौन-सी है?

आइए अब हम, कुछ बिंदुओँ की मदद से अपने सभी पाठकों को विस्तार से छठ पूजा के महत्व को दर्शाने वाले कहानियों के बारे में बतायेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं-

  1. कहा जाता है कि जब पांडवों ने अपना सर्वस्व खो दिया था तब उनकी माता द्रौपदी द्धारा छठ पूजा का व्रत किया गया था ताकि उन्हें फिर से सुख, समृद्धि, धन व धान्य की प्राप्ति हो सकें,
  2. महाभारत के सभी प्रमुख पात्र अर्थात् सूर्यपूत्र कहे जाने वाले कर्ण के द्धारा भी छट पूजा का व्रत किया जाता था जिससे छठ पूजा का महत्व स्वयंमेव उजागर हो जाता है,
  3. वहीं दूसरी तरफ भगवान राम, सीता व लक्ष्मण द्धारा बनवास पूरा कर जब घर वापस आये तब माता सीता द्धारा लगातार 3 दिनों तक अखंड व्रत किया गया है और छठ पूजा का त्यौहार मनाया गया आदि।

उपरोक्त बिंदुओँ की मदद से हमने आपको विस्तार से छठ पूजा के जुड़ी कहानियों के बारे मे बताया।

क्या आप जानते है छठ पूजा से जुड़ी प्रियव्रत की कहानी?

प्रियव्रत नामक राजा द्धारा लाखों प्रयत्नों के बाद भी जब उन्हें संतान सुख की प्राप्ति नहीं हुई तब उन्हें बेहद निराशा होने लगी और वे भीतर ही भीतर टूट गये और इसी दौरान उन्हें महर्षि द्धारा यज्ञ करने के लिए कहा और यज्ञ के प्रसाद के रुप में बने खीर को अपनी पत्नी को खिलाने के लिए कहा।

यज्ञ के परिणामस्वरुप, राजा प्रियव्रत को संतान की प्राप्ति हुई लेकिन वो संतान मृत पैदा हुई जिससे उनका दुख व शोक कई गुणा बढ़ गया जिसकी वजह से उन्होंने मन ही मन ये योजना बना ली थी कि, वे अपनी सतांन की अन्तिम यात्रा के साथ ही साथ खुद को भी मार देंगे लेकिन बीच रास्ते में ही शोकाकुल व आतुर राजा प्रियव्रत को एक दिव्य – भव्य महिला के दर्शन हुए जिन्हें आमतौर पर षष्ठी, छठी व छठी माता के नाम से जाना जाता है जिन्होंने उन्हें एक अन्तिम मौका देते हुए छठ माता की प्रार्थना करने को कहा और इसी प्रकार जाकर उन्हें पुत्र के रुप में संतान सुख की प्राप्ति हुई और साथ ही साथ जीवन में, सुख व समृद्धि का संचार भी हुआ।

छठ पूजा की पूरी विधि क्या है?

वैसे तो आप सभी भली-भांति छठ पूजा की पूरी विधि के बारे में जानते होंगे लेकिन फिर भी हम, अपने सभी पाठकों को विस्तार से छठ पूजा की पूरी विधि के बारे में बताते है जो कि, कुछ बिंदुओँ के रुप में इस प्रकार से हैं-

  • छठ पूजा के पहले दिन – नहाय खाय होता है

हम, आप सभी को बता दें कि, छठ पूजा का त्यौहार कुल मिलाकर पुरे 4 चार दिनों तक चलता है जिसके दौरान पहले दिन नहाय – खाय की विधि मनाई जाती है जिसके दौरान ना केवल पूरे घर की साफ़ – सफ़ाई की जाती है बल्कि शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है।

  • छठ पूजा के दूसरे दिन – खरना की विधि होती है

चार दिन चलने वाले इस छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना की विधि पूरी की जाती है जिसके दौरान पूरे दिन उपवास रखकर व्रतियों द्धारा गन्ने का जूस या फिर गुड़ से बनी खीर को प्रसाद के रुप खाया जाता है और एक बात जो कि, खरना विधि को खास बनाती है वो ये कि, खरना के दिन जो गुड़ की खीर बनती है उसका स्वाद बाकि सभी सामान्य दिनों से लाजबाव होता है।

  • छठ पूजा के तीसरे दिन – डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है

छठ पूजा के तीसरे दिन, पिछले खरना विधि के बाद से अखण्ड निर्जला व्रत शुर होता है जो कि, तीसरे दिन भी जारी रहता है और इसी तीसरे दिन शाम के समय सभी व्रतियों द्धारा एक साफ़ डाली में पूजा की सभी सामग्रियों व प्रसादों को सजाकर नदियों व पोखरो के किनारे ले जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और

  • छठ पूजा का चौथा दिन – ऊगते सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत पूरा किया जाता है

छठ पूजा का चौथा दिन, छठ पूजा का अन्तिम दिन माना जाता है जिसके दौरान सभी व्रतियों द्धारा सूर्य के निकलने से पहले घाटों पर पहुंच कर सभी तैयारीयां की जाती है और ऊगते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है जिसके बाद व्रतियों द्धारा उसी नदी के जल को घर लाकर तुलसी के पौधे में डाला जाता है व तुलसी के कुछ पत्तों के साथ गंगाजल का सेवन करके इस निर्जला के महाव्रत व महापर्व को पूरा किया जाता है।

इस प्रकार हमने आपको विस्तार से, छठ पूजा की पूरी विधि के बारे में बताया ताकि आप छठ पूजा के त्याग, समर्पण, भक्ति व अखण्ड आस्था को करीब से देख व महसूस कर सकें।

निष्कर्ष

छठ पूजा का त्यौहार बिहार सहित भारत के कई राज्यों के साथ ही साथ विदेशों में भी प्रमुखता, प्राथमिकता व धूम – धाम के साथ मनाया जाता है जिसे आमतौर पर आस्था का महापर्व कहा जाता है क्योंकि इस दौरान सभी व्रतियों द्धारा लगातार 36 घंटो का निर्जला व्रत करके सूर्य देवता व छठी मईयां की उपासना की जाती है जिससे ना केवल संतान सुख से वंचित माताओं व बहनों को संतान सुख की प्राप्ति होती है बल्कि साथ ही साथ सुख व समृद्धि की प्राप्ति भी होती है।

अन्त हमने अपने इस आर्टिकल में आप सभी को विस्तार से Chhath Puja Essay in Hindi के बारे में बताया बल्कि साथ ही साथ हम, अपने इस आर्टिकल में आपको विस्तार से छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?, छठ पूजा का इतिहास?, छठ पूजा कब है?, छठ पूजा का महत्व?, chhath puja par nibandh और छठ पूजा कैसे मनाया जाता है? के बारे में बताया।

हमें पूरी उम्मीद है कि, आपको हमारा ये आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा जिसके लिए ना केवल आप हमारे इस आर्टिकल को लाइक करेंगे, शेयर करेंगे बल्कि साथ ही साथ अपने विचार व सुझाव कमेंट करके हमारे साथ सांक्षा करेंगे ताकि हम, इसी तरह के आर्टिकल आपके लिए लाते रहें।

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