Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi | गणेश चतुर्थी पर निबंध 2021

आने वाले 10 सितम्बर, 2021 को महाराष्ट्र सहित पूरे भारतवर्ष में, Ganesh Chaturthi ।। गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाने वाला है जिसको लेकर सभी तैयारियां बड़ी जोरो – शोरो से हो रही है क्योंकि गणेश चुतर्थी हिंदूओँ का एक बहुत ही पवित्र, फलदायी, आस्थापूर्ण और ऊर्जावान त्यौहार है जिससे ना केवल हमारे भीतर सुख-शांति का वास होता है और हम, सुखपूर्वक अपने सामाजिक के साथ ही साथ पारिवारीक जीवन को जी पाते है।

Ganesh Chaturthi in Hindi ( गणेश चतुर्थी पर निबंध 2021 )

Ganesh Chaturthi in Hindi

गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में, पुराणों अर्थात् गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा की माने तो गणेश चतुर्थी ।। Ganesh Chaturthi के दिन ही भगवान गणेश का जन्म हुआ था और गणेश चतुर्थी के दिन ही गणेश भगवान की विशेष तौर पर पूजा की जाती है, उनकी मूर्ति की स्थापना की जाती है और साथ ही साथ 9 दिनों तक उनकी प्रतिमा को स्थापित करके पूजा जाता है और ठीक 9 दिन के बाद अगले वर्ष गणेश को फिर से घर आने का न्यौता देकर उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है।

अतः इस आर्टिकल में आप सभी को विस्तार से Ganesh Chaturthi in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान की जायेगी और साथ ही साथ गणेश चतुर्थी का महत्व in hindi, when is ganesh chaturthi in 2021 और साथ ही साथ गणेश चतुर्थी कब मनाया जाता है? की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे ताकि आप सभी ना केवल धूमधाम के साथ गणेश चतुर्थी के पवित्र त्यौहार को मना सकें बल्कि साथ ही साथ गणेश चतुर्थी के त्यौहार की पूरी पुख्ता जानकारी भी प्राप्त कर सकें क्योंकि यही हमारे इस आर्टिकल का मौलिक लक्ष्य है।

10 सितम्बर, 2021 को पूरे भारतवर्ष में होगी गणेश चतुर्थी की धूम

when is ganesh chaturthi in 2021? गणेश चतुर्थी का त्यौहार महाराष्ट्र मे, विशेष महत्व रखता है और क्योंकि ये त्यौहार असंख्य लोगों के अस्तित्व से जुड़ा होता है और इसीलिए इस त्यौहार का लम्बे समय से इंतजार किया जाता है और उनका ये इंतजार जल्द ही समाप्त होने वाला है क्योंकि आने वाले 10 सितम्बर, 2021 को प्रमुख व प्राथमिक तौर पर गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जायेगा जिसको लेकर सभी जरुरी तैयारियां जोरो – शोरो से हो रही है और भक्तों में इसको लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

क्या आप जानते है कि शिवपुराण के अनुसार गणेश का अवतरण कब हुआ था?

ये जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि, शिवपुराण के अनुसार गणेश का अवतरण कब हुआ था लेकिन हम, आपको बता दें कि, शिवपुराण में, स्पष्ट तौर पर गणेश अवतरण की जानकारी प्रदान की गई हैं जिसके अनुसार भाद्रपद्र मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को मंगलमूर्ति गणेश का अवतरण हुआ था।

वहीं दूसरी तरफ गणेशपुरान की मानें तो यह गणेशावतार भाद्रपद्र शुक्ल चतुर्थी को हुआ था।

संस्कृत कोष के अनुसार, गणपति का क्या अर्थ होता है?

संस्कृतकोष के अनुसार मानें तो संस्कृतकोष में, स्पष्ट तौर पर गणपति का संधि-विच्छेद सहित अर्थ बताया गया है जो कि, इस प्रकार से हैं – गण+पति = गणपति। यहां पर गण का अर्थ पवित्रक होता है और पति का अर्थ होता है स्वामी और इस प्रकार से हम, कह सकते है कि, गणपति का अर्थ होता है पवित्रों का स्वामी।

क्या आपको पता है गणेश चतुर्थी का इतिहास?

गणेश चतुर्थी का स्वर्णिम इतिहास, मराठा शासनकाल के ऐतिहासिक पन्नो में, पाया जाता है जहां से छत्रपति शिवाजी का उत्सव शुरु होता है। गणेश के इतिहास को यदि हम, संक्षिप्त भाषा में कहें तो हम, कह सकते है कि, माता पार्वती जब स्नान करने जा रही थी तब उन्होने गणेश को पहरेदारी पर रखा और साफ आदेश दिया कि, किसी को भी भीतर प्रवेश ना करने दें। कुछ समय बाद जब पिता शिव वहां आते है और प्रवेश करने की कोशिश करते है लेकिन असफल होने पर उनका व गणेश जी का भीषण युद्ध होता है जिसमें भगवान शिव क्रोधित होकर अपने पुत्र गणेश का सिर काट देते है।

माता पार्वती जैसे ही अपने पुत्र का सिर कटा हुआ शरीर देखती हैं तो वे उसी समय काली का रुप धारण कर लेती है और पूरे विश्व के संहार को घोषणा कर बैठती है जिससे देवता लोक के सभी देवतागण भयभीत हो उठते है और विश्व के कल्याण के लिए शिव से याचना करते है कि, माता पार्वती को शान्त करें और इसके उपाय स्वरुप शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर लगाकर गणेश के सिर कटे शरीर पर लगा दिया और उसे जीवित किया जिसके बाद कहीं जाकर माता पार्वती का गुस्सा शांत हुआ और इस प्रकार गणपति का जन्म हुआ।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार कब मनाया जाता है व दूसरे किन नामों से जाना जाता है?

गणेश चतुर्थी का त्यौहार मूलत एक सुप्रसिद्ध व लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है जो कि, मूलत भाद्रपद्र माह के शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है जो कि, अनन्त चतुर्दशी को विसर्जन के साथ समाप्त हो जाता है। यहां पर हम, अपने सभी भक्तों को यही भी बताना चाहते है कि गणेश चतुर्थी को मूलत विनायक चतुर्थी के रुप में मनाया जाता है।

महाराष्ट्र सहित पूरे भारतवर्ष में क्यों मनाया जाता है गणेश चतुर्थी का त्यौहार?

गणेश चतुर्थी का त्यौहार केवल महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष में, बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाने का मूल कारण यह है कि, गणेश चतुर्थी के माध्यम से हम, अपने प्रिय देव भगवान श्री. गणेश जी के अवतरण का त्यौहार व उत्सव मानते है जिससे ना केवल हमारे घर में, खुशहारी आती है बल्कि साथ ही साथ उज्जवल भविष्य का निर्माण भी होता है।

गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है?

आइए अब हम, कुछ बिंदुओँ की मदद से आप सभी को बतायेंगे कि, गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है जो कि, इस प्रकार से हैं-

  1. गणेश चतुर्थी के दिन गणेश की पूजा-अर्जना करने से हमारे घरों में सुख, शांति, समृद्धि व सौभाग्य की स्थापना होती है।
  2. हमारे बच्चो में, ज्ञान की उत्पत्ति होती है क्योंकि भगवान गणेश को ज्ञान का देवता भी कहा जाता है।
  3. हमारे घरो में, लक्ष्मी का वास होता है।
  4. घरो में, सुख व शांति की स्थापना होती है और साथ ही साथ घरो से गृह-कलेश आदि दूर हो जाते है।
  5. पूरे घर मे व घर के सदस्यों में सकारात्मक ऊर्जा की उत्पत्ति होती है।
  6. हमारे भीतर दिव्यता व भव्यता का सृजन होता है जिससे हम, बेहतर तरीके से अपने भक्तिपूर्ण जीवन को जी पाते है।

उपरोक्त बिंदुओं की मदद से हमने आपको बताया कि, गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है ताकि आप भी गणेश चतुर्थी का त्यौहार धूमधाम के साथ मना सकें और अपने भीतर दिव्यता व भव्यता से परिपूर्ण ऊर्जा का सृजन कर सकें।

गणेश चतुर्थी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

गणेश चतुर्थी एक पवित्र व पावन त्यौहार है जिसे महाराष्ट्र समेत पूरे भारतवर्ष में, धूमधाम के साथ हर्षो-उल्लास से प्रेरित व प्रोत्साहित होते हुए मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्यौहार पूरे 10 दिनों तक चलता है अर्थात् भाद्रपद्र शुद चतुर्थी के अनन्त चतुर्दशी तक तक मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी के पहले ही दिन धूमधाम के साथ सभी भक्तों द्धारा भगवान श्री. गणेश की मूर्ति / प्रतिमा स्थापित की जाती है, सभी घरों को सुगंधित व रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है, पूजा होती है और भजन किया जाता है। वहीं दूसरी तरफ स्थानीय लोगों द्धारा मूल तौर पर गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर पंडालों का आयोजन किया जाता है।

पूजा के अन्तिम दिन, प्रमुख तौर भगवान गणेश की मूर्तियों को धूमधाम, भव्यता व दिव्यता के साथ भक्तों द्धारा सड़कों उनकी झांकी निकाली जाती है और सांध्य के समय उनकी मूर्ति व प्रतिमा को किसी नदी या भी समुंद्र में, विसर्जित कर दिया जाता है और इसके साथ ही अगले साल गणेश चतुर्थी के त्यौहार का इंतजार शुरु हो जाता है।

गणेश चतुर्थी की पूरी पूजन-विधि क्या है?

गणेश चतुर्थी की पूरी पूजन-विधि घर में, भगवान गणेश की स्थापना के साथ शुरु होता है जिसके बाद देवता गणेश के भोग के लिए अलग – अलग प्रकार के व्यंजनों को पकाया जाता है। गणेश की प्रतिमा को शुद्ध जल से स्नान कराया जाता है, फूलों से सजाया जाता है जिसके बाद पूरे परिवार समेत ज्योति जलाकर आरती शुरु की जाती है।

इस समय विशेष तौर पर विभिन्न मंत्रो व भजनो का जाप किया जाता है और भक्तों का यह भी कहना है कि, यदि पूरी लगन के साथ गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर मंत्रो का जाप किया जायें तो गणेश की मूर्ति में, प्राणों की उत्पत्ति हो जाती है और साथ ही साथ यह भी माना जाता है कि, इस अवसर पर भगवान गणेश स्वयं अपने भक्तों के घर आते है और उन्हें सुख, सौभाग्य व समृद्धि का आर्शावाद देकर उन्हें खुशहाल जीवन प्रदान करते है।

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निष्कर्ष

गणेश ना केवल सुख, समृद्धि व सौभाग्य के देवता है बल्कि साथ ही साथ उन्हें ज्ञान का देवता भी कहा जाता है और आगामी 10 सितम्बर, 2021 को भगवान गणेश को समर्पित गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जायेगा तो आप ना केवल धूमधाम व हर्षो-उल्लास के साथ गणेश चतुर्थी का त्यौहार मना सकें बल्कि इस त्यौहार के सभी पहलूओं को भी करीब से जान सकें इसके लिए हमने अपने इस आर्टिकल में, आप सभी को विस्तार से Ganesh Chaturthi in Hindi ।। गणेश चतुर्थी पर निबंध हिंदी में प्रदान किया ताकि आप सभी गणेश चतुर्थी का त्यौहार धूमधाम के साथ मना सकें और सुख व सौभाग्य का आर्शीवाद प्राप्त कर सकें।

अतः हमें पूरी उम्मीद व आशा है कि, आपको हमारा ये आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा जिसके लिए आप ना केवल हमारे इस आर्टिकल को लाइक करेंगे, शेयर करेंगे बल्कि साथ ही साथ अपने विचारों व सुझावों को कमेंट करेंगे ताकि हम, इसी तरह के आर्टिकल आपके लिए प्रस्तुत कर सकें क्योंकि यही हमारा मौलिक लक्ष्य है।

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