कौवे जैसी सोच रखने वालों ने देश को लूटा | chanakya niti in hindi

कौवे जैसी सोच रखने वालों ने देश को लूटा:

दोस्तों अच्छी सोच ही मनुष्य को कामयाबी के शिखर तक ले जाती है जिस मनुष्य की सोच में खोट होता है वह हमेशा परेशान ही रहता है।
दोस्तों हम लोगों को अच्छी सोच रखनी चाहिए सदैव दूसरों के हित की भी बात करनी चाहिए ना कि केवल अपने हित की जो लोग केवल अपने हित की बात करते हैं वह लोग स्वार्थी होते हैं और केवल अपने स्वार्थ के लिए दूसरे लोगों से मतलब रखते हैं और जब ऐसे लोगों का मतलब निकल जाता है तो वह बाद में पहचानने से भी इनकार कर देते हैं।
chanakya niti in hindi
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दोस्तों इसका सबसे बड़ा उदाहरण मैं देश के गद्दार नेताओं को मानता हूं क्योंकि दोस्तों इस देश को अंग्रेजों के बाद लूटने में इस देश के नेताओं का सबसे बड़ा हाथ रहा है देश को तरक्की की दिशा में ना ले जाकर देश के कुछ नेताओं ने विदेश में पैसा जमा करने का रास्ता चुना है।
दोस्तों हमारे देश को लूटने में वर्तमान समय में सबसे ज्यादा देश के गद्दार नेताओं का हाथ है।
कौवा जैसी सोच रखने वाले इन देश के चंद गद्दार नेताओं को देश के बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।
यही वह लोग हैं जो कौवे जैसी सोच रखने वाले हैं जिन्होंने देश को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है।

मरने के बाद स्वर्ग ही मिले ऐसा क्यों सोचते हैं सब:

दोस्तों इस संसार में मुख्य तीन धर्म हैं सबसे ज्यादा संख्या में इसाई धर्म आता है इसके बाद मुस्लिम धर्म और फिर नास्तिक लोग जो किसी धर्म को नहीं मानते हैं।
अर्थात उनका ईश्वर में विश्वास ही नहीं है संख्या के अनुसार आता है और इसके बाद में हिंदू धर्म जनसंख्या के आधार पर आता है लेकिन सभी धर्मों का लगभग यही मानना है कि ईश्वर एक है जिसका कोई आकार नहीं है।
अर्थात ईश्वर निराकार है और ईश्वर हर जगह विद्यमान है अर्थात ब्रमांड में कोई जगह ऐसी नहीं है जहां ईश्वर का अस्तित्व ना हो लेकिन सभी धर्मों में ईश्वर को मानने के अलग-अलग तरीके हैं जैसे की इसाई धर्म चर्च में प्रार्थना करते हैं उसके बाद मुस्लिम धर्म की बात करें तो मुस्लिम लोग मस्जिदों में या अपने घरों में प्रार्थना करते हैं।
दोस्तों इसके बाद जो नास्तिक लोग होते हैं वह कहीं भी प्रार्थना नहीं करते हैं क्योंकि उनका ईश्वर में विश्वास ही नहीं होता है।
उसके बाद बात करते हैं अगर हिंदू धर्म के बारे में दो हिंदू धर्म के अनुयाई मंदिरों में या अपने घरों में प्रार्थना करते हैं।
लेकिन सबसे मुख्य बात यह है कि सभी धर्म अपने आप को सही बताते हैं और उनके पूजा पाठ या प्रार्थना करने का तरीका भिन्न होता है लेकिन आजकल के इस युग में जो दुर्जनों की सहायता करे मैं तो उसे ही सबसे बड़ा धर्म मानूंगा।
इसलिए हमें चाहिए कि दुर्जनों की सहायता करें और सदैव अच्छे कार्यों में अपना समय लगाएं जिससे हमारे मन को शांति प्राप्त होगी।
 

 

सदैव सत्य इसलिए बोलना चाहिए:

 

दोस्तों आजकल हम लोग दिन भर में ना जाने कितना ही झूठ बोल जाते हैं और हमें एहसास भी नहीं होता कि हमने झूठ बोला है लेकिन क्या आपको पता है कि झूठ बोलना कितना बड़ा पाप है।
  देखिये दोस्तों हम झूठ तो बोल देते हैं लेकिन फिर उसके बाद उस झूठ को छिपाने के लिए ना जाने हमें और कितने झूठ बोलने पड़ते हैं तो क्यों ना हम सदैव सच ही बोलें ताकि हमें किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े और ना ही कभी झूठ बोलने की आवश्यकता पड़े।
 क्योंकि दोस्तों झूठ की उम्र ज्यादा नहीं होती और एक ना एक दिन सच्चाई सबको पता ही चल जाती है और जब सच्चाई पता चलती है तब सामने वाले की दृष्टि में हमारी क्या छवि रह जाती है इसका अनुमान तो शायद आप लगा ही सकते हैं।
इसलिए दोस्तों में यहां आपसे कहना चाहूंगा कि सदैव सत्य ही बोले कभी भी झूठ का सहारा कहीं भी ना लें क्योंकि झूठ ज्यादा देर नहीं टिकता और सच्चाई सबके सामने जरूर आती है तो दोस्तों इसलिए मैं आपसे कहना चाहूंगा कि झूठे लोगों से मित्रता भी ना करें सदैव सच्चे लोगों से ही मित्रता करें ताकि आपके ऊपर संगति का असर आए भी तो सच्चाई का।

संसार में केवल धर्म ही स्थिर है:

दोस्तों इस संसार में बहुत से धर्म हैं लेकिन सभी धर्मों में स्थिरता है ऐसा कोई भी धर्म नहीं है जो स्थिर ना हो कहने का अर्थ यह है कि सभी धर्मों के अपने अलग-अलग नियम होते हैं और जो व्यक्ति उस धर्म के नियमों का पालन करता है वह उसी धर्म का अनुयाई भी कहलाता है।
धर्म कोई भी हो लेकिन गलत उपदेश कोई भी धर्म नहीं देता चाहे वह ईसाई हो या मुस्लिम या और भी कोई धर्म हो इससे कोई तात्पर्य नहीं है।
दोस्तों आपने सुना होगा और शायद पढ़ा भी होगा कि जितने भी धर्म उपदेशक इस संसार में आए हैं उन सभी ने भलाई का पाठ ही पढ़ाया है अर्थात किसी भी धर्म उपदेशक ने यह नहीं कहा है कि कोई गलत कार्य करने का गलत फल नहीं मिलेगा।
दोस्तों मेरे कहने का अर्थ यह है कि इस संसार में मनुष्य चाहे कितना भी अस्थिर क्यों ना हो लेकिन वह धर्म को अस्थिरता की ओर नहीं ले जा सकता अर्थात् उसके बुरे कर्मों को धर्म के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।
क्योंकि इस संसार में सभी धर्म स्थिर हैं और उनके अपने नियम हैं यदि आप उन नियमों के अंतर्गत काम करेंगे तो आप भी उस धर्म के अनुयाई कहलाएंगे लेकिन यदि आप उस धर्म के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो इसमें धर्म का कोई दोष नहीं होगा क्योंकि सभी धर्म स्थिर होते हैं।


आचार्य को सदैव इसलिए सम्मान देना चाहिए:

दोस्तों इस संसार में माता-पिता के बाद अगर किसी का सम्मान में स्थान आता है तो वह गुरु यानी आचार्य ही होते हैं।
सम्मान की बात करें तो सबसे पहले आप अपने माता-पिता जिन्होंने आप को जन्म दिया उनका सम्मान करें और उसके बाद आप अपने गुरु का सम्मान करें क्योंकि संसार में जन्म लेने के बाद आपके लिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण होती है।
इसलिए पहले अपने माता-पिता जिन्होंने जन्म दिया उनका सम्मान करें और इसके बाद अपने गुरु का सम्मान करें क्योंकि संसार में आने के बाद आप को शिक्षित करने का कार्य गुरु ने ही किया है इसलिए गुरु का सदैव आदर करना चाहिए।
दोस्तों अगर सामान्य तौर पर बात करें तो हमें अपने से सभी बड़े लोगों का सम्मान और आदर करना चाहिए।

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