बुधिया सिंह बायोग्राफी | Budhia Singh Biography in Hindi

Budhia Singh Biography in Hindi: सिर्फ 4 साल की उम्र मे, 65 किलोमीटर की मैराथॉन में हिस्सा लेकर अपना नाम ’’ Limca World Record Book ’’ में नाम दर्ज करने वाले बुधिया सिंह एक बाल सुपर – स्टार के रुप में उभरे है जिन्होंने काफी सुर्खियां बटोरी और इन्हीं के जीवन पर आधारित होगा हमारा ये आर्टिकल जिसमें हम, आपको विस्तार से Budhia Singh Biography in Hindi में प्रदान करेंगे।

Budhia Singh Biography in Hindi
Budhia Singh Biography in Hindi

जब कोई बाल – गोपाल अपने आयु के विपरित जाकर कुछ अप्रत्याशित कार्य मे महारत हासिल करता है तो उस बाल – गोपाल का नाम एक बाल सुपर – स्टार के तौर पर जाना जाता है ऐसे ही एक बाल – गोपाल सुपर – स्टार है बुधिया सिंह जिनकी जीवन परिचय को हम, आपके सामने प्रस्तुत करेंगे।

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Budhia Singh Biography in Hindi – संक्षिप्त परिचय

पूरा नाम क्या है?बुधिया अवूगा सिंह
जन्म कब हुआ?साल 2002 में
जन्म स्थानउड़ीसा
माता का नामसुकान्ति
कोच का नामबिरंची दास
बुधिया सिंह के नाम कौन सा रिकॉर्ड है?Limca World Record Book
65 किलोमीटर की मैराथॉन पूरी की?सिर्फ 4 साल की आयु में।

Budhia Singh Biography in Hindi

आइए अब हम, आप सभी को विस्तार से बुधिया सिंह के जीवन परिचय के बारे में बताते है जो कि, इस प्रकार से हैं –

बुधिया सिंह का जन्म कब, कहां और किस परिवार में हुआ था?

गति और रफ्तार के मालिक बाल – गोपाल बुधिया का जन्म साल 2002 में उड़ीसा के एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था जहां बुधिया के कुल 3 भाई – बहन थे और घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय और चिन्ताजनक थी जिसमे बुधिया सिंह का शुरुआती जीवन शुरु हुआ।

सिर्फ 2 साल की आयु मे ही बुधिया से सिर से उठा पिता का हाथ?

हम, अपने सभी पाठको व युवाओं को बताना चाहते है कि, जब इस तेज धावक अर्थात् बुधिया सिंह केवल 2 वर्ष के थे तभी इनके पिता जी का निधन हो गया था जिसकी वजह से पूरे परिवार पर मुशीबतो का पहाड़ टूट गया था और अब इन 4 बच्चो के लालन – पालन की पूरी जिम्मेदारी इनकी माता जी पर आ गई थी जो कि, संघर्ष की एक नई परिभाषा लिखने जा रही थी।

4 बच्चो के पालन – पोषण हेतु घरो में बर्तन – झाडू का काम करती थी

4 बच्चो के बाल्यकाल में ही पति का सहारा छूट जाने के बाद बुधिया सिंह की माता जी आस – पास के घरो में झाडू मारने, बर्तन धोने और अन्य घरेलू काम करके किसी भी तरह के घर चलाती थी लेकिन धीरे – धीरे उनकी तबीयत भी बिगड़ने लगी और दवाई के लिए पैसे भी नहीं थे।

सिर्फ 800 रुपय में क्यूं बिका था बुधिया सिंह?

आप सभी पाठको व युवाओं को जानकर बेहद हैरानी होगी कि, बुधिया सिंह की माता जी अर्थात् श्रीमति. सुकान्ति देवी परिवार का भरण – पोषण अकेले करते करते ना केवल थक गई थी बल्कि बुरी तरह से बीमार भी पड़ गई थी जिसकी वजह से बुधिया की मां के दवाओं और बाकी 3 बच्चो के पालन – पोषण के लिए अपने कलेजे पर पत्थर रखकर साल 2004 में सिर्फ 800 रुपय में किसी फेरीवाले के हाथो बुधिया को बेच दिया था जो कि, केवल संघर्ष की ही नहीं बल्कि बलिदान की अभूतपूर्व परिभाषा थी।

भगवान के दूसरे रुप बनकर आये बिरंची दास कौन थे?

यहां पर आपको लगेगा कि, सब कुछ एक कहानी है जो कि, वास्तविकता में एक कहानी है लेकिन सिर्फ पन्नो तक सीमित ना होकर असल जिन्दगी की असल कहानी है।

बुधिया की मां ने, जिस फेरीवाले के हाथो बुधिया को बेचा थे वो बुधिया से जानवरों की तरह का लेता था, बुरी तरह से मारता था, खाना भी नहीं देता था जिसे देख बुधिया की मां सुकान्ति भीतर-भीतर मर रही थी लेकिन उन्हीं दिनो उस इलाके मे बिंरजी दास अपना अनाथालय चलाते थे और बेहद उदार व दयालु प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।

बुधिया की मां ने, बिंरची दास से विनती करके बुधिया को छुड़वा लिया और इस प्रकार जाकर बुधिया की लीगल कस्टडी बिरंची दास को मिली जो कि, बुधिया और उसकी मां के जीवन में भगवान का रुप बनकर आये थे।

बिरंची की सजा से कैसे आविष्कार हुआ बुधिया धावक का?

फेरीवाले के यहां पर नर्क से भी बदतर जीवन जीने वाले बुधिया का जीवन इस अनाथालाय में आकर बदल गया था क्योकिं बुधिया को यहां पर उसका खोया हुआ बचपन फिर से मिल गया था जहां पर वो अपनी मन-मर्जी का मालिक था, जहां पर जी भर कर खेल – कूद सकते है, पेट भरकर खाना खा सकता है और सभी कुछ जो बच्चे किया करते है।

एक दिन अनाथालय के मालिक बिरंची दास कुछ जरुरी काम कर रहे थे और बुधिया उनके पास हो – हल्ला मचा रहा था जिससे परेशान होकर बिरंची ने, बुधिया को बाहर मैदान में चक्कर काटने की सजा दी और उनकी दी गई यही सजा, आविष्कार बनी।

बुधिया को सजा देने के बाद बिरंची दास भूल ही गये कि, उन्होंने बुधिया को सजा दी है और इस प्रकार जब वे बाहर निकले तो मैदान मे बुधिया को चक्कर लगाते देखा जो कि, पिछले 5 घंटो से लगातार चक्कर लगा रहा था जिसे देखकर बिंरची दास हतप्रभ, आश्चर्यचकित और भौच्चके रह गये।

उन्होंने बुधिया सिंह को रोका और उसकी हार्ट – बीट की जांच की जो कि, सामान्य पाया गया लेकिन बिरंची हैरान थे कि, लगातार 5 घंटे की चक्कर लगाने के बाद भी बुधिया की हार्ट – बीच सामान्य कैसे है और यही से आविष्कार हुआ रफ्तार के मालिक बुधिया धावक का।

बिरंची ने, बुधिया को अपना शिष्य स्वीकार क्यूं किया?

जब बिंरची ने, बुधिया की इस प्रतिभा के साक्षात दर्शन किये तब बिरंची ने, बुधिया को अपना शिष्य मान लिया और उसे सख्त ट्रैनिंग देने लगे जिसकी वजह से वे सुबह 4 बजे से लेकर लगातार 3 घंटे बुधिया को दौड़ाते थे और हर दिन लगातार 7-8 घंट दौड़ने के बाद बुधिया एक अच्छा धावक बन गया था जिसके परिणामस्वरुप बुधिया ने, कुल 48 मैराथॉन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर उसे पूरा किया था।

65 किलोमीटर की मैराथॉन के सुपर – स्टार कैसे बने बुधिया?

गुरु बिंरची दास और शिष्य बुधिया धावक की मेहतन तब रंग लाई जब 2 मई, 2006 को उड़ीसा के भुवनेश्वर में आयोजित 65 किलोमीटर की मैराथान जो कि, पुरी में जाकर समाप्त होती थी का आयोजन किया गया जिसमें सभी जाने – माने धावको ने, भाग लिया लेकिन आकर्षण और प्रदर्शण के एकमात्र केद्र बनकर बुधिया उभरा क्योंकि सिर्फ 4 साल का ये लड़का इस मैराथॉन में हिस्सा लेकर Limca World Record Book में अपना नाम दर्ज करने वाला था।

बुधिया ने, अन्य प्रतिभागियो के साथ भुवनेश्वर से सुबह 4 बजे मैराथॉन की शुरुआत की और पूरे 7 घंटे 2 मिनट के बाद पुरी पहुंचकर अपने मैराथॉन को सम्पन्न किया।

बुधिया के जीवन में कैसे आया स्टारडम का दौर?

65 किलोमीटर की मैराथॉन मे भाग लेने वाले 4 साल के इस बुधिया सिंह का नाम पहली बार Limca World Record Book मे दर्ज किया गया जिसके बाद बुधिया के जीवन में स्वर्णिक स्टारडम का दौर आया क्योंकि बुधिया सिंह को कभी समाचार में, अखबार मे तो कभी टेलीविजन पर टेलीकास्ट किया जाने लगा जिससे बुधिया का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा था क्योंकि बुधिया को भारत का दूसरा मिल्खा सिंह माना जा रहा था।

बुधिया की सफलता, बिंरची दास को ही कैसे ले डूबी?

गुरु की तपस्या और शिष्य का परिश्रम जब रंग लाता है तो नये कीर्तिमान स्थापित होते है इतिहास का एक नया दौर लिखा जाता है लेकिन तब क्या होता है जब शिष्य की सफलता की गुरु की मृत्यु का कारण बन जाये?

ऐसा ही हुआ बिंरची दास के साथ क्योंकि जब बुधिया को चारों तरफ से लोकप्रियता मिली, ऐड – फिल्म करने का मौका मिला, अच्छे पैसे मिले, घरेलू स्थिति में सुधार हुआ तब उस दौर मे 800 रुपय में बिके बुधिया सिंह को आज के मैराथॉन बॉय बन चुके बुधिया सिंह पर सब अपना हक जताने लगे।

सबसे दुखद बात यह थी कि, बुधिया को नई जिन्दगी देने वाले गुरुर बिंरची दास के खिलाफ बुधिया की मां कोर्ट तक पहुंच गई और उन पर केस कर दिया कि, वो जबरन उनसे बाल – श्रम करवाते है, इसके बाद भारतीय बाल कल्याण अधिकारीयो ने, भी बिरंची दास पर केस किया लेकिन बिरंची दास ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारीज किया।

देश की शर्मशार करने वाली राजनीति के भेंट चढ़ा मैराथॉन बॉय बुधिया?

धीरे – धीरे ये पूरा मामला संवेदनशील होता गया। अचानक पूरे भारतवर्ष के लिए बुधिया सिंह ही सबसे महत्वपूर्ण हो गया था जिसके बाद बुधिया सिंह की शारीरिक जांच के आदेश कोर्ट द्धारा जारी किया गया और बुधिया का मैडिकल एग्जामिनेशन किया गया।

इस रिपोर्ट को कभी भी जनता के सामने नहीं लगाया गया और केवल इतना कह दिया गया है कि, बुधिया शारीरिक रुप से कमजोर है और उसका इतना दौड़ना उसकी मृत्यु का कारण बन सकता है जिसके बाद सरकार द्धारा उसके दौड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया और इस प्रकार मैराथॉन बॉय बुधिया देश की शर्मशार कानून व्यवस्था और राजनीति की भेंट चढ़ गया।

कैसे और क्यूं हुई बिरंची की हत्या?

यहां पर आपको जानकर हैरानी होगी कि, अभी बिरंची दास को सिर्फ 2 वर्ष ही हुई थे बुधिया के अनायास बने हित – प्रेमियो के कोर्ट केस से मुक्ति मिले की 13 अप्रैल, 2008 को एक कुख्यात गिरोह द्धारा बिरंची दास की गोली मारकर हत्या कर दी गई और इस केस को सीधा बुधिया सिंह से जोड़ा गया।

जांच के बाद पुलिस का कहना है कि, बी.जे.बी कॉलेज में जूड़ो की ट्रैनिंग देने वाले बिंरची दास ने, किसी मामले में मॉडल लेसली त्रिपाठी का पक्ष लिया था जिससे कुख्यात अपराधी राजा आचार्य परेशान था और इस वजह से उसने बिंरची दास की गोली मरवाकर हत्या कर दी थी।

किन कारणों की वजह से बुधिया सिंह एक सफल धावक नही बन पाया?

आइए अब हम, आप सभी विस्तार से उन कारणों की जानकारी देते है जिनकी वजह से बुधिया सिंह एक सफल व महान धावक नहीं बन पाया जो कि, इस प्रकार से हैं –

  1. देश के शर्मशार कर देने वाली राजनीतिक व सरकारी कार्यप्रणाली की वजह से,
  2. बुधिया सिंह के दौड़न पर सरकार द्धारा प्रतिबंध लगाना जो कि, उनके करियर के लिए मृत्यु साबित हुआ,
  3. ताजा मिली जानकारी के अनुसार बताया जाता है कि, वर्तमान समय में तेज तर्रार और रफ्तार का मालिक बुधिया सिंह आज कुपोषण की चपेट में आ चुका है जिसका प्रमाण यह है कि, 65 किलोमीटर की मैराथान में दौड़ने वाला बुधिया आज 100 मीटर भी नही दौड़ पाता है और
  4. बिरंची दास का सपना था कि, बुधिया साल 2016 में, भारत को गोल्ड मैडल दिलायेगा लेकिन उनकी मृत्यु के साथ ही बुधिया और भारत को गोल्ड मैडल दिलाने वाले स्वर्णिम सपने की भी मृत्यु हो गई आदि।

अन्त, इस प्रकार हमने कुछ बिंदुओँ की मदद से आपको बताया कि, बुधिया क्यूं एक सफल धावक नहीं बन पाया।

बुधिया सिंह – बोर्न टू रन?

5 अगस्त, 2016 को भारती बॉक्स – ऑफिश पर बुधिया सिंह की जीवनी पर फिल्म आई जिसका नाम था – ’’ बुधिया सिंह – बोर्न टू रन ’’ जिसमें मनोज वाजपेयी द्धारा बिरंची दास की भूमिका अदा की जिसे दर्शको द्धारा खूब सहारा गया।

इस फिल्म को बनाने का लक्ष्य था दर्शको व भारतवर्ष को बुधिया सिंह की जीवन से परिचित करवाना, उसकी प्रतिभा से परिचित करवाना और साथ ही साथ देश की शर्मशार करने वाली राजनीति का पर्दाफाश करना।

निष्कर्ष

हमने अपने इस आर्टिकल में, आप सभी पाठको व युवाओँ को सिर्फ 4 साल की आयु मे 65 किलोमीटर की मैराथॉन दौड़ने वाले बुधियां सिंह की जीवनी अर्थात् Budhia Singh Biography in Hindi में प्रदान की ताकि आप उनके प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें।

अन्त हम, आशा करते है कि, आपको हमारा ये आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा जिसके लिए आप हमारे इस आर्टिकल को लाइक करेंगे, शेयर करेंगे और साथ ही साथ अपने विचार व सुझाव भी कमेंट करके सांक्षा करेंगे।

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