ऐसे लोग कभी दूसरों के दुख को नहीं समझते | Motivational Speech for sadness

ऐसे लोग कभी दूसरों के दुख को नहीं समझते:

दोस्तों आज के इस दौर में किसी को अपने दुख सुनाने लगो तो वह आपके दुख ना सुनकर स्वयं के दुख सुनाने लगता है।जबकि ऐसा करना उचित नहीं होता।यदि मित्र अपने दुख आपको बताने लगता है तो आपको उस क्षण अपने दुख उसे नहीं सुनाना चाहिए।

Motivational Speech for sadness
Motivational Speech for sadness

 

जब आपका मित्र अपने दुख आपसे साझा करे तो आपको सबसे पहले चाहिए कि उसकी बात को अच्छी तरह से समझे और उसे उन दुखों से बाहर निकालने की कोशिश करें।

सबसे पहले आपको उसकी बात गौर से सुनना चाहिए और उसके बाद उसे उस विषय के बारे में समझाना चाहिए लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए यदि आपका दोस्त आपसे अपने दुख साझा करे तो आप भी उसी समय अपने दुख उससे साझा करने लगे जिससे आपके मित्र को यह लगेगा कि आप उसका साथ नहीं बल्कि अपना साथ दिलवा रहे हैं।

हां यह बात तो बिल्कुल सही है आप अपने मित्र से अपने दुख भी साझा करें लेकिन उचित समय से कोई भी कार्य करना अच्छा होता है इसलिए जब आपके मित्र पर विपत्ति हो तो आप केवल उसकी ही बात सुने और जब आपके ऊपर विपत्ति हो तो आप अपनी बात अपने मित्र से अवश्य साझा करें क्योंकि यदि आप अपने मित्र को समझते हैं तो वह भी आप को समझने की कोशिश अवश्य करेगा।इसलिए पहले आपको दूसरों के दुख समझना चाहिए तभी दूसरे भी आपके दुख को समझेंगे।

 

बिना ज्ञान के मनुष्य क्या है:

दोस्तों यह तो सभी जानते हैं कि अनपढ़ और ज्ञानी व्यक्ति में क्या अंतर होता है लेकिन आज हम आपको इस आर्टिकल के जरिए कुछ ऐसी बातें साझा करेंगे जिनसे आपको अच्छे से समझ आ जाएगा कि अनपढ़ और ज्ञानी पुरुष में क्या अंतर होता है।

तो आइए जानते हैं ज्ञानी और अनपढ़ व्यक्ति के गुण-
सबसे पहली बात तो यह है कि अनपढ़ व्यक्ति बिना ज्ञान के ही बहस करने लगता है जबकि ज्ञानी पुरुष पूरा ज्ञान होने के बाद ही किसी बात पर बहस करता है।

बड़े ऋषि मुनियों ने कहा है की पशु और मनुष्य में एक ही अंतर है जोकि ज्ञान का अंतर है अर्थात बिना ज्ञानी मनुष्य पशु के समान है।

इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा ज्ञान हासिल करने की जिज्ञासा होनी चाहिए यदि मनुष्य अनपढ़ है तो उसकी तुलना एक जानवर से की गई है।

तो दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे कि अनपढ़ व्यक्ति एक पशु के समान है।


यदि अपने ही साथ ना हो तो क्या होता है जीवन में:

दोस्तों जिंदगी में ऐसे बहुत से पल आते हैं जिनमें हमें सबके साथ रहने पर ही आनंद मिलता है लेकिन कभी-कभी स्थिति के अनुसार ऐसे भी पल आ जाते हैं कि हमें उन पलों को काटना मुश्किल हो जाता है अर्थात उन पलों में यदि हम अकेले हो तो हमें बहुत बेकार सा लगने लगता है लेकिन स्थिति तो गुजर जाती है और फिर वह वापस नहीं आती।

आमतौर पर देखा गया है कि किसी भी पारंपरिक कार्यक्रम में सभी लोग आसानी से इकट्ठा नहीं हो पाते हैं अर्थात हम लोगों ने बैर के वह बीज बो रखे होते हैं जो हमें अकेलेपन का अहसास करवाते हैं।

अक्सर यह देखा जाता है किसी भी कार्यक्रम के शुरू होने से पहले हमें अपनों को मनाना होता है लेकिन मैं इसके बिलकुल ही विपरीत हूं।

क्योंकि दोस्तों यह तो सभी को पता है कि जीवन बहुत छोटा है और इसका कोई भी समय निर्धारित नहीं है अर्थात जब तक जीवित हैं प्रेम से रह लें मरने के बाद तो कुछ नहीं रहेगा ना।

दोस्तों मैं तो आपसे यही कहना चाहूंगा कि छोटी सी जिंदगी है इसे प्रेम से जी लें या नफरत में काट दें लेकिन मरना तो एक दिन सबको ही होगा।

युवावस्था का फायदा इसलिए उठाना चाहिए:

दोस्तों इस संसार में जन्म लेने के बाद बाल्यावस्था में हम लोग बहुत ही सुकून से जिंदगी गुजारते हैं उसके बाद धीरे-धीरे हम बड़े होते हैं और युवावस्था में प्रवेश करते हैं।

जिंदगी की सबसे नाजुक स्थिति युवावस्था होती है यदि मनुष्य इस अवस्था में कुछ कर दिखाता है तो वह उसके संपूर्ण जीवन के लिए एक वरदान होता है और यदि मनुष्य इस अवस्था में बिगड़ जाता है तो उसके जीवन के लिए यही अभिशाप होता है।

तो दोस्तों हमें अपनी युवावस्था का प्रयोग बहुत ही सही ढंग से करना चाहिए इसलिए क्योंकि यही वह अवस्था है जिसमें मनुष्य अपने संपूर्ण जीवन का निर्माण करता है।

जो व्यक्ति अपनी युवावस्था का सही इस्तेमाल करते हैं वही व्यक्ति सफल होते हैं इसी के विपरीत जो व्यक्ति अपनी युवावस्था मौज मस्ती में गुजार देते हैं उनका पूरा जीवन सर्वनाश हो जाता है और वह अपने पूरे जीवन में कभी सुखी नहीं रहते।

दोस्तों शायद आपने अंकित अग्रवाल का नाम सुना होगा जोकि OYO कंपनी की मालिक है उन्होंने महज 18 वर्ष की आयु में OYO जैसी बड़ी कंपनी की नींव रखी उसके बाद उन्हें अपने क्षेत्र में असफलताओं का सामना भी करना पड़ा लेकिन वह फिर भी पीछे नहीं हटे और आज वह समय है कि अंकित अग्रवाल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में जाने जाते हैं।

तो दोस्तों सही मायने में तो अपनी युवावस्था का इस्तेमाल अंकित अग्रवाल ने किया है इसी तरह से हम लोगों को भी अपनी युवावस्था का इस्तेमाल करना चाहिए।

 

खुशबू तो आपके चरित्र से आना चाहिए:

दोस्तों बोलते तो सभी हैं कोई ज्यादा बोलता है तो कोई कम बोलता है इसी प्रकार कुछ लोगों ने कम बोल कर इस विश्व में महानता हासिल की है तो वहीं कुछ लोगों ने ज्यादा बोलकर भी बहुत महानता हासिल की है.

अब इसका यह मतलब नहीं है कि सिर्फ कम बोलने से ही आप महान हो जाएंगे उसके लिए आपको अपने कार्य पर निरंतर मेहनत करनी होगी तभी आप प्रसिद्ध हो सकते हैं लेकिन इसी के विपरीत यदि आप प्रेरक वक्ता हैं और लोगों को अच्छी ज्ञान की बातें बताते हैं जिससे कि लोग आपसे संतुष्ट रहते हैं और आपकी बात को मानते हैं तथा आपका आदर भी करते हैं तो इस प्रकार भी आप प्रसिद्धता हासिल कर सकते हैं।

भारत में ही नहीं पूरे विश्व में प्रेरक वक्ताओं का आदर और सम्मान किया जाता है चाहे वह किसी भी मुद्दे पर बात करें लेकिन उनके बात करने का नजरिया ही अलग होता है इसीलिए वे प्रसिद्ध होते हैं।

तो दोस्तों सबसे बड़ा काम यही है कि आप लोगों को कैसे प्रेरित करते हैं या उनसे कैसे बातचीत करते हैं यही वह गुण है जो आपके चरित्र को दर्शाता है इसीलिए हमें प्रेम भाव से रहना चाहिए।

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