Hanuman Chalisa | श्री हनुमान चालीसा

Hanuman Chalisa – हिंदू धर्म में हनुमान चालीसा का बहुत अधिक महत्व है, संस्कृत में कविता या कार्य पाठ को छंद में लिखा जाता है, हनुमान चालीसा काव्य ग्रंथ को 40 शब्दों में लिखा गया है जिस वजह से उसे चालीसा कहां जाता है। इसका महत्त्व विज्ञान के द्वारा कुछ आधुनिकता की चीजों के बारे में बताया गया है जैसे धरती से सूर्य की दूरी और इस तरह की जानकारी हनुमान चालीसा में हनुमान भगवान के व्यक्तित्व का वर्णन करते वक्त बताया गया है। Hanuman Chalisa का महत्व इसीलिए बहुत अधिक है क्योंकि जो व्यक्ति हनुमान चालीसा पढ़ कर भगवान हनुमान कि सच्चे मन से आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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इस वजह से यह माना जाता है कि रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। वैसे तो हनुमान चालीसा का पाठ सुबह सुबह सोकर उठते ही करना चाहिए मकरा पूजा के दौरान भी इस का पाठ कर सकते है। आज इस लेख में हनुमान चालीसा के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है आप नीचे दी गई सभी जानकारियों में यह समझ पाएंगे कि Hanuman Chalisa को कब पढ़ना चाहिए, क्यों पढ़ना चाहिए, और कैसे पढ़ना चाहिए।

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हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa Lyrics

॥ दोहा॥
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार ।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार ॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी ।
कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा ।
कानन कुण्डल कुँचित केसा ॥४

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै ।
काँधे मूँज जनेउ साजै ॥

शंकर सुवन केसरी नंदन ।
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर ।
राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया ।
राम लखन सीता मन बसिया ॥८

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा ।
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
रामचन्द्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए ।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई ।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥१२

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं ।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।
नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते ।
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना ।
लंकेश्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु ।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं ।
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते ।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०

राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।
तुम रक्षक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै ।
तीनों लोक हाँक तै काँपै ॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।
महावीर जब नाम सुनावै ॥२४

नासै रोग हरै सब पीरा ।
जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तै हनुमान छुडावै ।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा ।
तिनके काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै ।
सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८

चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे ।
असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता ।
अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा ।
सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२

तुम्हरे भजन राम को पावै ।
जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंतकाल रघुवरपुर जाई ।
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त ना धरई ।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा ।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो सत बार पाठ कर कोई ।
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥४०

॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप ।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप ॥

Hanuman Chalisa Lyrics [Video]

हनुमान कौन थे?

भगवान हनुमान को शिव का 11वा रुद्र अवतार माना जाता है। हनुमान भगवान राम के परम भक्त थे उनकी माता का नाम अंजनी और पिता का नाम केसरी था जिस वजह से उन्हें अंजनिया या केसरी नंदन भी कहा जाता है।

जब इंसान धरती पर धीरे-धीरे वानर से इंसान बन रहा था, तब वानर जाति में श्री हनुमान का जन्म हुआ था, बचपन से ही हनुमान बहुत ही बहादुर और बहुत चतुर थे। सूर्य को आम समझकर हनुमान उसकी तरफ जिज्ञासा में दौड़े थे ताकि वह सूर्य को खा सकें उनकी बहादुरी और जिज्ञासा को देखते हुए सूर्य देव ने उन्हें अपने शिष्य बनाया था। उनकी बहादुरी और वीरता को देखते हुए पवन ने हनुमान को अपना बेटा माना था, और हवा में उड़ने की शक्ति दी थी जिस वजह से भगवान हनुमान को पवन पुत्र भी कहा जाता है।

हनुमान चालीसा क्या है?

हनुमान चालीसा 40 चौपाइयों में लिखी एक काव्य कृति है। यह अवधी भाषा में लिखी गई है इसमें भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान के व्यक्तित्व का वर्णन किया गया है।

जैसा कि हमने आपको बताया हनुमान चालीसा का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक माना जाता है। वर्तमान समय में हनुमान चालीसा इसलिए इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें पूजा पाठ के अलावा कुछ वैज्ञानिक तर्कों का भी खंडन किया गया है। यह काव्य खंड पूरे 40 छंद में विभाजित है जिस वजह से इसे चलीसा कहा जाता है। हनुमान चालीसा को गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा था उन्होंने 40 अलग-अलग दावे चौपाइयों की मदद से भगवान हनुमान के चरित्र का वर्णन किया है।

हनुमान चालीसा का महत्व | Hanuman Chalisa Value

Hanuman Chalisa

हनुमान महाभारत के बहुत ही महत्वपूर्ण पात्र है जिनकी वजह से भगवान राम का व्यक्तित्व और भी निखर कर सबके समक्ष आ पाया है। हनुमान की बहादुरी का वर्णन हनुमान चालीसा में किया गया है, जिसमें बताया गया है कि किस प्रकार अपने प्रभु के कहने पर सागर लांग गए, और किस प्रकार पाताल के राजा अहिरावण की दोनों भुजा उखाड़ दी थी।

भगवान हनुमान का नाम लेने से उस जगह पर राम का वास अपने आप होता है। रोज सुबह हनुमान चालीसा पढ़ने से घर में राम का वास होता है सुख शांति बनी रहती है और भूत प्रेत और इस प्रकार की सभी दुष्ट शक्तियों का नाश होता है। हनुमान चालीसा केवल भगवान हनुमान के व्यक्तित्व की नहीं रामायण में उनके और राम के बीच भक्त और भगवान की एक परम गाथा को दर्शाता है।

हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

हिंदू धर्म के अनुसार रोजाना सुबह-सुबह Hanuman Chalisa का पाठ करने से भगवान हनुमान खुश होते हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है। मगर पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान को याद करने के लिए अलग-अलग दिन बनाया गया है ताकि व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी भगवान को याद कर सके।

भगवान हनुमान का विशेष दिन मंगलवार को माना जाता है। हर सप्ताह मंगलवार के दिन सुबह-सुबह हनुमान चालीसा का पाठ करने से भगवान हनुमान खुश होते है। इस दिन हनुमान चालीसा का पाठ सुबह सुबह स्नान करने के बाद करना चाहिए इस दिन भगवान हनुमान की पूजा तेल और अगरबत्ती के साथ की जाती है। मंगलवार के दिन सुबह सुबह स्नान करके भगवान हनुमान की प्रतिमा पर फल फूल अगरबत्ती तेल अर्पित किया जाता है और उनकी आरती उतारी जाती है। इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है। इस तरह नियमित रूप से करने से जल्द ही मन की इच्छा पूरी होती है और सुखद समाचार मिलते है।

हनुमान चालीसा का अर्थ?

हम सब जानते हैं कि हनुमान चालीसा की शुरुआत एक दोहे से होती है और इसी के साथ हनुमान चालीसा किस सर्वर प्रचलित चौपाई का अर्थ नीचे सरल शब्दों में समझाया गया है उसे ध्यानपूर्वक पढ़ें – 

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ||

अर्थ – श्री गुरु के चरण कमल के धूल से अपने मन रुपी दर्पण को निर्मल करके प्रभु श्रीराम के गुणों का वर्णन करता हूँ जो चारों प्रकार के फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) देने वाला है।

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन-कुमार |
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ||

अर्थ – हे पवन कुमार, मुझे बुद्धिहीन जानकार सुनिए और बल, बुद्धि, विद्या दीजिये और मेरे क्लेश और विकार हर लीजिये।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||

अर्थ – ज्ञान गुण के सागर हनुमान जी की जय। तीनों लोकों को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने वाले कपीश की जय।

राम दूत अतुलित बल धामा |
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ||

अर्थ – हे अतुलित बल के धाम रामदूत हनुमान आप अंजनिपुत्र और पवनसुत के नाम से संसार में जाने जाते हैं।

महाबीर बिक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||

अर्थ – हे महावीर आप वज्र के समान अंगों वाले हैं और अपने भक्तों की कुमति दूर करके उन्हें सुमति प्रदान करते हैं।

कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुँचित केसा ||

अर्थ – आपके स्वर्ण के सामान कांतिवान शरीर पर सुन्दर वस्त्र सुशोभित हो रही है। आपके कानो में कुण्डल और बाल घुंघराले हैं।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै |
काँधे मूँज जनेउ साजै ||

अर्थ – आपने अपने हाथों में वज्र के समान कठोर गदा और ध्वजा धारण किया है। कंधे पर मुंज और जनेऊ भी धारण किया हुआ है।

संकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग वंदन ||

अर्थ – आप भगवान शंकर के अवतार और केसरीनन्दन हैं। आप परम तेजस्वी और जगत में वंदनीय हैं।

बिद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||

अर्थ – आप विद्यावान, गुनी और अत्यंत चतुर हैं और प्रभु श्रीराम की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||

अर्थ – आप प्रभु श्रीराम की कथा सुनने के लिए सदा लालायित रहते हैं। राम लक्ष्मण और सीता सदा आपके ह्रदय में विराजते हैं।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
बिकट रूप धरि लंक जरावा ||

अर्थ – आपने अति लघु रूप धारण करके सीता माता को दर्शन दिया और विकराल रूप धारण करके लंका को जलाया।

भीम रूप धरि असुर सँहारे |
रामचन्द्र के काज सँवारे ||

अर्थ – आपने विशाल रूप धारण करके असुरों का संहार किया और श्रीराम के कार्य को पूर्ण किया।

लाय सजीवन लखन जियाये |
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ||

अर्थ – आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राणो की रक्षा की। इस कार्य से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने आपको ह्रदय से लगाया।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||

अर्थ – भगवान श्रीराम ने आपकी बहुत प्रसंशा की और कहा कि हे हनुमान तुम मुझे भरत के समान ही अत्यंत प्रिय हो।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं |
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ||

अर्थ – हजार मुख वाले शेषनाग तुम्हारे यश का गान करें ऐसा कहकर श्रीराम ने आपको गले लगाया।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते |
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ||

अर्थ – हे हनुमान जी आपके यशों का गान तो सनकादिक ऋषि, ब्रह्मा और अन्य मुनि गण, नारद, सरस्वती के साथ शेषनाग, यमराज , कुबेर और समस्त दिक्पाल भी करने में असमर्थ हैं तो फिर विद्वान कवियों का तो कहना ही क्या।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा ||

अर्थ – आपने सुग्रीव पर उपकार किया और उन्हें राम से मिलाया और राजपद प्राप्त कराया।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना |
लंकेस्वर भए सब जग जाना ||

अर्थ – आपके सलाह को मानकर विभीषण लंकेश्वर हुए ये सारा संसार जानता है।

जुग सहस्र जोजन पर भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||

अर्थ – हे हनुमान जी आपने बाल्यावस्था में ही हजारों योजन दूर स्थित सूर्य को मीठा फल जानकर खा लिया था।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ||

अर्थ – आपने भगवान राम की अंगूठी अपने मुख में रखकर विशाल समुद्र को लाँघ गए थे तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं।

दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||

अर्थ – संसार में जितने भी दुर्गम कार्य हैं वे आपकी कृपा से सरल हो जाते हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||

अर्थ – भगवान राम के द्वारपाल आप ही हैं आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में प्रवेश नहीं मिलता।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रच्छक काहू को डर ना ||

अर्थ – आपकी शरण में आए हुए को सब सुख मिल जाते हैं। आप जिसके रक्षक हैं उसे किसी का डर नहीं।

आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हाँक तें काँपै ||

अर्थ – हे महावीर, अपने तेज के बल को स्वयं आप ही संभाल सकते हैं। आपकी एक हुंकार से तीनो लोक कांपते हैं।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै |
महाबीर जब नाम सुनावै ||

अर्थ – आपका नाम मात्र लेने से भूत पिशाच भाग जाते हैं और नजदीक नहीं आते।

नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ||

अर्थ – हनुमान जी के नाम का निरंतर जप करने से सभी प्रकार के रोग और पीड़ा नष्ट हो जाते हैं।

संकट तें हनुमान छुड़ावै |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||

अर्थ – जो भी मन क्रम और वचन से हनुमान जी का ध्यान करता है वो संकटों से बच जाता है।

सब पर राम तपस्वी राजा |
तिन के काज सकल तुम साजा ||

अर्थ – जो राम स्वयं भगवान हैं उनके भी समस्त कार्यों का संपादन आपके ही द्वारा किया गया।

और मनोरथ जो कोई लावै |
सोई अमित जीवन फल पावै ||

अर्थ – हे हनुमान जी आप भक्तों के सब प्रकार के मनोरथ पूर्ण करते हैं।

चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||

अर्थ – हे हनुमान जी, आपके नाम का प्रताप चारो युगों (सतयुग, त्रेता , द्वापर और कलियुग ) में है।

साधु सन्त के तुम रखवारे |
असुर निकन्दन राम दुलारे ||

अर्थ – आप साधु संतों के रखवाले, असुरों का संहार करने वाले और प्रभु श्रीराम के अत्यंत प्रिय हैं।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |
अस बर दीन जानकी माता ||

अर्थ – आप आठों प्रकार के सिद्धि और नौ निधियों के प्रदाता हैं और ये वरदान आपको जानकी माता ने दिया है।

राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||

अर्थ – आप अनंत काल से प्रभु श्रीराम के भक्त हैं और राम नाम की औषधि सदैव आपके पास रहती है।

तुम्हरे भजन राम को पावै |
जनम जनम के दुख बिसरावै ||

अर्थ – आपकी भक्ति से जन्म जन्मांतर के दुखों से मुक्ति देने वाली प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है।

अन्त काल रघुबर पुर जाई |
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ||

अर्थ – वो अंत समय में मृत्यु के बाद भगवान के लोक में जाता है और जन्म लेने पर हरि भक्त बनता है।

और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||

अर्थ – किसी और देवता की पूजा न करते हुए भी सिर्फ आपकी कृपा से ही सभी प्रकार के फलों की प्राप्ति हो जाती है।

संकट कटै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||

अर्थ – जो भी व्यक्ति हनुमान जी का ध्यान करता है उसके सब प्रकार के संकट और पीड़ा मिट जाते हैं।

जय जय जय हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||

अर्थ – हे हनुमान गोसाईं आपकी जय हो। आप मुझ पर गुरुदेव के समान कृपा करें।

जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बन्दि महा सुख होई ||

अर्थ – जो इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे महान सुख की प्राप्ति होती है।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||

अर्थ – जो इस हनुमान चालीसा का पाठ करता है उसे निश्चित ही सिद्धि की प्राप्ति होती है, इसके साक्षी स्वयं भगवान शिव हैं।

तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ||

अर्थ – हे हनुमान जी, तुलसीदास सदैव प्रभु श्रीराम का भक्त है ऐसा समझकर आप मेरे ह्रदय में निवास करें।

पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||

अर्थ – हे मंगल मूर्ति पवनसुत हनुमान जी, आप मेरे ह्रदय में राम लखन सीता सहित निवास कीजिये।

हनुमान चालीसा क्यों लिखी गई थी? 

हनुमान चालीसा को आज से कई साल पहले गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा लिखा गया था। उन्होंने राम चरित्र मानस की रचना की थी जिसमें उन्होंने भगवान राम के व्यक्तित्व का वर्णन करते हुए रामायण की पूरी कथा को लिखा था। वह रामायण का दूसरा भाग था जिसे तुलसीदास के द्वारा लिखा गया वास्तविक रामायण सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि के द्वारा लिखा गया था।

हनुमान चालीसा रामायण का एक हिस्सा है जिस प्रकार तुलसीदास ने रामचरितमानस में भगवान राम के व्यक्तित्व को दर्शाते हुए रामायण को एक काव्य रूप दिया था उसी प्रकार उन्होंने 40 चौपाई में भगवान हनुमान के व्यक्तित्व को हनुमान चालीसा के जरिए समझाने का प्रयास किया है।

हनुमान चालीसा को लिखने के पीछे का मकसद भक्तों को भगवान राम के परम भक्त के व्यक्तित्व के बारे में बताना है ताकि लोग समझ सके कि परम भक्त का व्यक्तित्व कैसा होता है और वह अपने भगवान के प्रति कैसा स्वभाव रखता है। भगवान हनुमान का व्यक्तित्व हनुमान चालीसा में बेहतरीन रूप से बताया गया है वह भगवान राम को अपना गुरु मानते थे और सदैव हो उन्हें भगवान मानकर उनकी सेवा करते थे, जिस वजह से हनुमान चालीसा का एक वाक्य यह भी है जिसमें भगवान राम ने हनुमान को अपने भाई का दर्जा दिया था।

हनुमान चालीसा पढ़ने से क्या होता है?

हनुमान चालीसा पढ़ने से आप समझ पाते हैं कि क्यों भगवान राम हर किसी के लिए पूजनीय है, क्यों हनुमान भी इतना पूछते है, और जिस व्यक्ति के व्यक्तित्व पर मोहित होकर पूरी दुनिया ने उसे भगवान कह दिया था उस व्यक्ति ने हनुमान के व्यक्तित्व को देख कर उसे अपना भाई का दर्जा दिया। इस वजह से हर किसी के लिए यह जानना आवश्यक है कि भगवान हनुमान का व्यक्तित्व कैसा है और क्यों वह हिंदू धर्म में सबसे बड़े तपस्वी और सबसे बड़े भक्त के रूप में देखे जाते है।

हनुमान को भगवान शिव का रूद्र अवतार भी कहा जाता है। और भगवान हनुमान प्रभु श्री राम के परम भक्त हैं इस वजह से केवल हनुमान चालीसा पढ़ने या भगवान हनुमान की पूजा करने से आप भोलेनाथ और प्रभु श्रीराम दोनों को प्रसन्न कर सकते है। हनुमान चालीसा पढ़ने से घर में सुख शांति का वास होता है और भगवान राम कभी वास होता है।

बच्चे बच्चे को हनुमान चालीसा पढ़नी चाहिए ताकि वह समझ सके कि एक अच्छा व्यक्तित्व किसे कहते है। भगवान कल किसी से खुश होते हैं इसके बारे में हनुमान चालीसा बेहतरीन रूप से बताता है हनुमान चालीसा को पढ़कर एक बच्चा यह समझ पाएगा कि क्यों राम भगवान बन गए और किस प्रकार उनकी पूजा करने से हनुमान को भी भगवान का दर्जा दिया गया। हनुमान चालीसा भक्त और भगवान के रिश्ते को दर्शाती है साथ ही हिंदू धर्म की अप्रतिम गाथा को सरल शब्दों में लोगों तक पहुंचाने का कार्य करती है।

हनुमान चालीसा कब और कैसे पढ़ना चाहिए?

हनुमान चालीसा को पढ़ने का कोई खास उचित समय नहीं बनाया गया है यह भगवान के व्यक्तित्व की वर्णन कथा है जिसे आप पूरे दिन में कभी भी पढ़ सकते है। मगर मुख्य रूप से भगवान हनुमान का दिन मंगलवार को माना जाता है जिस वजह से मंगलवार के दिन भगवान हनुमान की विशेष पूजा की जाती है इस दिन अगर सुबह सुबह हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह अत्यंत लाभकारी होता है।

हनुमान चालीसा रोज सुबह स्नान करके पूजा के दौरान पढ़ सकते है। इसके अलावा हनुमान चालीसा को पढ़ने के लिए आप अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी समय निकाल सकते है। अगर एक सटीक रूप से भगवान हनुमान की पूजा की बात की जाए तो मंगलवार के दिन उनकी मूर्ति पर फल फूल सरसों का तेल चढ़ा कर पूजा की जाती है।

मंगलवार को सुबह सुबह स्नान करने के बाद अगर Hanuman Chalisa का पाठ किया जाए तो ना केवल इससे मन की शांति होती है बल्कि घर में भी सुख शांति की बरकत होती है और जल्द ही सुखद समाचार मिलने की संभावना होती है।

[Hanuman Chalisa Video with Hindi Meaning]

हनुमान चालीसा से जुड़े कुछ आवश्यक प्रश्न (FAQ)

Q. हनुमान किसके कौन है?

भगवान हनुमान में सुमेरु पर्वत के राजा वानर राज केसरी और माता अंजनी के पुत्र है जिस वजह से उन्हें केसरी नंदन या अंजनिया कहा जाता है। उनकी बहादुरी और ज्ञान की प्रति ललक को देखकर बचपन में पवन ने हनुमान को अपना बेटा माना था, और उन्हें हवा में उड़ने का वरदान दिया था।

Q. हनुमान को क्या वरदान मिला था?

भगवान हनुमान बचपन में सूर्य को आम का फल समझकर उसे खाने चल दिए थे। जब उन्हें सूर्य के बारे में बताया गया तो उन्होंने और जानने की जिज्ञासा व्यक्त की उनकी इसी जिज्ञासा को देखकर सूर्य भगवान ने उन्हें अपना शिष्य बनाया था।
जिसके बाद पवन या हवा जब तक चाहे उड़ सकते है, इसके अलावा उनके ज्ञान और पराक्रम को देखते हुए ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दिया था कि उनकी इच्छा के बिना कोई भी अस्त्र-शस्त्र उन्हें हानि नहीं पहुंचा सकता।

Q. भगवान हनुमान ने किसका वध किया था?

हनुमान ने रावण के महाबली पुत्र अक्षय और पाताल लोक के राजा अहिरावण का वध किया था।

Q. हनुमान की पूजा क्यों करते है?

हनुमान ने पूरी दुनिया से भूत पिशाच और राक्षसों का अंत किया था जिस वजह से ऐसा माना जाता है कि उन्हें याद करने मात्र से सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का नाश हो जाता है और वह भगवान श्रीराम के परम भक्त थे तो हनुमान की पूजा करने से घर में भगवान राम का वास होता है।

Q. हनुमान चालीसा को कैसे पढ़ना चाहिए?

हनुमान चालीसा को पलासिया मारकर रोज सुबह सुबह स्नान करने के बाद हनुमान की मूर्ति या प्रतिमा के समक्ष बैठकर पढ़ना चाहिए।

निष्कर्ष

आज इस लेख में हमने आपको बताया कि Hanuman Chalisa का महत्व क्या है, और हनुमान चालीसा किसे कहते है। अगर इस लेख के माध्यम से आप हनुमान चालीसा और इसके अर्थ को बेहतरीन तरीके से समझ पाए हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव विचार या किसी भी प्रकार के प्रश्न को कमेंट में पूछना ना भूलें।

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