FIR Full Form | एफ.आई.आर का फुल फॉर्म क्या है?

हम, सभी ने, कभी ना कभी FIR के बारे में, जरुर सुना होगा और कुछ ना सही तो फिल्मों में, जरुर सुना ही है लेकिन हम, आपसे पूछना चाहते है कि, क्या आपको FIR Full Form के बारे में, पता है यदि नहीं हैं तो हम, आपको अपने इस आर्टिकल में, विस्तार से Full Form of FIR की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

जैसा कि, आप सभी जानते है कि, FIR एक Legal Term हैं लेकिन क्या हम और आप सही मायनो में, जानते है कि, एफ आई आर का मतलब क्या होता है? यदि नहीं तो कोई बात नहीं है क्योंकि हम, अपने इस आर्टिकल में, आप सभी को एफ आई आर का मतलब क्या होता है? और साथ ही साथ FIR Full Form in Hindi की पूरी जानकारी प्रदान करेंगे ताकि आप सभी को FIR व इससे संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो सकें क्योंकि यही हमारे इस आर्टिकल का मौलिक लक्ष्य है।

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FIR Full Form in Hindi को समर्पित आर्टिकल के मुख्य बिंदु

  1. FIR Full Form in Hindi
  2. एफ आई आर का मतलब क्या होता है?
  3. एफ आई आर ।। FIR से संबंधित कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्य क्या है?
  4. एफ आई आर ।। FIR को दर्ज करवाने की प्रक्रिया क्या है?
  5. FIR दर्ज करवाने से संबंधित नियम कौन से है?
  6. FIR को दर्ज करने के कौन से नियम है?
  7. FIR को जल्द से जल्द दर्ज करवाना क्यूं जरुरी है?
  8. FIR दर्ज करवाने की दृष्टि से अपराध कितने प्रकार के होते है?

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FIR Full Form

हम, अपने सभी पाठको को कुछ मौलिक बिंदुओँ की मदद से FIR Full Form in Hindi ।। एफ आई आर का मतलब क्या होता है? व इससे संबंधित सभी अन्य उपलब्ध जानकारी आपको प्रदान करेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं-

  1. FIR Full Form in Hindi

आइए सबसे पहले हम, अपने सभी पाठको को विस्तार से FIR Full Form in Hindi के बारे में, बतायें। FIR का यदि हम, हिंदी भाषा में, फुल फॉर्म खोजे तो पाते है कि, FIR को हिंदी में – ’’ पहली / प्राथमिक सूचना रिपोर्ट ’’ कहा जाता है और वहीं दूसरी तरफ इस अंग्रेजी में – ’’ First Information Report ( FIR ) ’’ कहा जाता है।

अन्त, हमने अपने सभी पाठको को विस्तार से FIR Full Form in Hindi व अंग्रेजी में, जानकारी प्रदान की ताकि आपको इसकी जानकारी प्राप्त हो सकें।

  1. एफ आई आर का मतलब क्या होता है?

सरल व सहज भाषा में, कहें तो एफ आई आर ।। FIR एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसे किसी अपराध के बाद किसी पीड़ित व्यक्ति द्धारा अपराधी व्यक्ति के खिलाफ दर्ज किया जाता है और इसे ही एफ आई आर ।। FIR कहा जाता व साथ ही साथ इसी के आधार पर उस अपराधी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी जांच की आधिकारीक प्रक्रिया को शुरु किया जाता है।

यदि हम, आपको इससे भी सरल भाषा व सहज भाषा में, कहें तो एफ आई आर ।। FIR पूरी कानूनी प्रक्रिया की पहली सीढ़ी होती है जिससे पूरी कानूनी प्रक्रिया को अस्तित्व और महत्व प्राप्त होता है क्योंकि किसी भी अपराध या फिर विवाद को सबसे पहले एफ आई आर ।। FIR के रुप में, स्थापित किया जाता है और फिर इसी एफ आई आर ।। FIR के आधार पर आगे की पूरी कानूनी प्रक्रिया का सफलतापूर्वक संचालन किया जाता है।

 

अन्त, हमने अपने सभी पाठको को विस्तारपूर्वक बताया कि, एफ आई आर ।। FIR का मतलब क्या होता है ताकि आप इसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें।

  1. एफ आई आर ।। FIR से संबंधित कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्य क्या है?

आइए अब हम, आपको व अपने सभी पाठको को विस्तार से एफ आई आर ।। FIR से संबंधित कुछ अति महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्रदान करेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं-

  • किसी भी अपराध को एफ आई आर ।। FIR के द्धारा ही कानून की नज़रो में, उजागर किया जाता है,
  • न्याय / इंसाफ प्राप्त करने की पहली सीढ़ी एफ आई आर ।। FIR को ही माना जाता है,
  • पीड़ित व्यक्ति को न्याय / इंसाफ दिलाने के लिए एफ आई आर ।। FIR का योगदान अति महत्वपूर्ण माना जाता है,
  • एफ आई आर ।। FIR दर्ज करने के बाद संबंधित पुलिस अधिकारी को अपराधी बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त होता है जिसके लिए पहले पुलिस अधिकारी को पीड़ित व्यक्ति को एफ आई आर ।। FIR की एक नकल देनी होती है,
  • FIR दर्ज करवाने के लिए कोई निर्धारित समय – सीमा नहीं तय की गई है,
  • किसी अपराध के संबंध मे, तत्काल कार्यवाही करने के लिए पुलिस अधिकारी द्धारा पीड़ित व्यक्ति की शिकायत पर Zero FIR दर्ज करके कार्यवाही की जाती है और हम, आपको बता दें कि, इसका महत्व भी एफ आई आर ।। FIR के जितना ही होता है,
  • एफ आई आर ।। FIR को पूरी न्याय प्रक्रिया का केंद्र – बिंदु माना जाता है,
  • एक बार जब एफ आई आर ।। FIR दर्ज कर ली जाती है तो इसे रद्द नहीं किया जा सकता है बल्कि इसे अनिवार्य तौर पर उच्च न्यायालय या फिर भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर भी छोड़ दिया जाता है और
  • एक बार जिस रुप में व जिन शब्दो में, एफ आई आर ।। FIR को दर्ज कर लिये जाने के बाद उसमें किसी भी तरह का संशोधन नहीं किया जायेगा आदि।

उपरोक्त बिंदुओँ की मदद से हमने आपको व अपने सभी पाठको को विस्तार से एफ आई आर ।। FIR से संबंधित कुछ अति – महत्वपूर्ण तथ्यो की जानकारी प्रदान की।

  1. एफ आई आर ।। FIR को दर्ज करवाने की प्रक्रिया क्या है?

आइए अब हम, आपको व अपने सभी पाठको को विस्तार से एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवाने की पूरी प्रक्रिया के बारे में, बतायेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

  • खुद / स्वयं से एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवाना

एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवाने की पहली प्रक्रिया ये है कि, यदि आपके खिलाफ किसी ने, कोई कानूनी अपराध किया है और आप उसी शिकायत खुद / स्वंय से पुलिस स्टेशन / थाने में, जाकर करते है तो इसे खुद / स्वयं से एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवाना कहा जाता है।

जब आप खुद से अर्थात् स्वयं से एफ आई आर ।। FIR करवाते है तो आपको इसके लिए क्षेत्र में, पड़ने वाले पुलिस स्टेशन / थाने में, जाना होगा और वहां पर संबंधित पुलिस अधिकारी को अपने खिलाफ हुए अपराध की पूरी जानकारी बिंदु दर बिंदु प्रदान करनी होगी जिसके बाद आपको उसकी एक नकल प्रदान करके आगे की कानूनी कार्यवाही की जाती है।

  • अन्य व्यक्ति द्धारा भी एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवा सकते है

यदि आपको लगता है कि, आपकी जान को खतरा है या फिर आप किसी अन्य वजह से आप खुद से जाना नहीं जानते है तो आप ऐसी सूरत में, आप अपने किसी रिश्तेदार, परिजन या फिर घटना के चश्मदीद के माध्यम से भी संबंधित अपराध के खिलाफ एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवा सकते है।

  • आपात स्थिति में, एक फोन कॉल या फिर ई-मेल से भी एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवा सकते है

हम, आपको व अपने सभी पाठको को बता दें कि, यदि स्थिति बेहद आपातकालीन हो जाये तो आपको पुलिस स्टेशन जाकर एफ आई आर ।। FIR करवाने की जरुरत नहीं है बल्कि आप घर बैठे- बैठे एक फोन कॉल या फिर ई-मेल के माध्यम से भी अपनी एफ आई आर ।। FIR को दर्ज करवाकर संबंधित अपराध के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया को शुरु कर सकते है।

  • ऑनलाइन एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवा सकते है

पुलिस सिस्टम को अपडेट करते हुए व आम जनता की सुविधा को हर नजरिये से सुनिश्चित करने के लिए आप एफ आई आर ।। FIR दर्ज करवाने की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है जिससे ना केवल आपके समय और धन की बचत होती है बल्कि गंभीर अपराधों के संबंध में, आपकी पहचान की भी सुरक्षा होती है।

अन्त, आप दोनो माध्यमो से अर्थात् पुलिस स्टेशन जाकर ( ऑफलाइन माध्यम ) या फिर कम्प्यूटर व इन्टरनेट की मदद ( ऑनलाइन माध्यम ) से भी एफ आई आर ।। FIR को दर्ज करवा सकते है।

 

उपरोक्त बिंदुओँ की मदद से हमने आपको FIR दर्ज करवाने की अलग – अलग प्रक्रियाओं के बारे में, बताया।

  1. FIR दर्ज करवाने से संबंधित नियम कौन से है?

आइए अब हम, आपको विस्तार से कुछ बिंदुओं की मदद से FIR दर्ज करवाने से संबंधित नियमों की जानकारी प्रदान करेंगे जो कि, इस प्रकार से हैं-

  • FIR वहीं व्यक्ति दर्ज करवायेगा जिसे अपराध करने वाले व्यक्ति की जानकारी हो,
  • नियमो के अनुसार पीड़ित व्यक्ति को मौखिक रुप से FIR दर्ज करवानी चाहिए,
  • एक बार FIR दर्ज होने के बाद उस पर FIR दर्ज करवाने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर होने चाहिए,
  • साथ ही साथ पीड़ित व्यक्ति को ये अधिकार दिया गया है कि, वो FIR को पढ़ सकता है और FIR की एक नकल प्राप्त कर सकता है और
  • अन्त में, जिस समय FIR दर्ज की गई है उसके बाद जब पीड़ित व्यक्ति उस FIR को पढ़ता है और पाता है कि, कोई महत्वपूर्ण जानकारी दर्ज नहीं की गई है या फिर किसी अन्य तरह की गलती को पाता है तो उसे उसी समय संशोधित करवाने / सुधार करवाने का अधिकार प्राप्त है आदि।

उपरोक्त सभी FIR दर्ज करवाने के मौलिक नियम है जिनके अनुसार हमें, किसी भी अपराध के खिलाफ FIR दर्ज करवानी चाहिए।

  1. FIR को दर्ज करने के कौन से नियम है?

आइए अब हम, कुछ बिंदुओं की मदद से आपको FIR दर्ज करने से संबंधित कुछ मौलिक नियमों की जानकारी प्रदान करें जो कि, इस प्रकार से हैं-

  • किसी भी पुलिश स्टेशन या फिर पुलिस अधिकारी को पीड़ित व्यक्ति द्धारा मौखिक तौर पर बोलने के बाद ही FIR दर्ज करनी चाहिए,
  • पुलिस अधिकारी को पीड़ित व्यक्ति के मौखिक विवरण के अनुसार दर्ज FIR पर पीड़ित व्यक्ति के हस्ताक्षर लेने चाहिए और उसे FIR की एक नकल देनी चाहिए और
  • यदि शिकायतकर्ता अशिक्षित है तो उसके बायें हाथ के अंगूठे का निशान FIR पर लेना चाहिए आदि।

उपरोक्त नियमों के अनुसार ही पुलिस को FIR दर्ज करना चाहिए।

  1. FIR को जल्द से जल्द दर्ज करवाना क्यूं जरुरी है?

आइए अब हम, आपको भारतीय सर्वोच्च न्यायालय द्धारा जारी दिशा – निर्देशों के अनुसार बताते है कि, FIR को जल्द से जल्द दर्ज करवाना क्यूं जरुरी होता है जो कि, इस प्रकार से हैं-

  • घटित हुए अपराध की त्वरित जानकारी प्रदान करने के लिए,
  • सभी उपलब्ध सबूतो / Evidences को मौका – ए- वारदात अर्थात् Crime Spot से प्राप्त करने के लिए,
  • अपराध से संबंधित सबूतो की मजबूती बनाये रखने के लिए,
  • अपराध से संबंधित किसी भी प्रकार की शंका / संदेह को जन्म होने से रोकने के लिए,
  • अपराध की जांच में, कीमती समय को बर्बाद होने से बचाने के लिए और
  • पीड़ित व्यक्ति को त्वरित गति से न्याय / इंसाफ दिलाने के लिए आदि।

उपरोक्त सभी कारणो की वजह से हमें व सभी को जल्द से जल्द किसी भी अपराध के संबंध में, FIR दर्ज करवानी चाहिए।

  1. FIR दर्ज करवाने की दृष्टि से अपराध कितने प्रकार के होते है?

आइए अब हम, आपको विस्तारपूर्वक बताते है कि, FIR दर्ज करवाने की दृष्टि से अपराध कुल 2 प्रकार के होते है जो कि, इस प्रकार से हैं

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  • संज्ञेय अपराध

जब किसी के द्धारा गोली चलाना, हत्या फिर बलात्कार जैसे गंभीर अपराधिक कार्यो को सम्पन्न किया जाता है तो इस प्रकार के अपराधो को ’’ संज्ञेय अपराधों ’’ की संज्ञा दी जाती है।

हम, आपको बता दे कि, संज्ञेय अपराधो में, पुलिस को CRPC की 154 सीधे FIR दर्ज करके कानूनी कार्यवाही शुरु करने का अधिकार होता है।

  • अंसज्ञेय अपराध

अंसज्ञेय अपराध सामान्य तौर पर छोटे – मोटे अपराधों जैसे कि, मारपीट आदि के लिए प्रयोग किया जाता है जिसमें पुलिस सीधे FIR दर्ज नहीं करती है बल्कि पीड़ित व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के पास भेजती है जिसके बाद अपराधी व्यक्ति के खिलाफ मजिस्ट्रेट द्धारा समन भेजा जाता है और आगे की कार्यवाही की जाती है।

 

उपरोक्त दोंनो बिंदुओं की मदद से हमने आपको FIR दर्ज करवाने की दृष्टि से अपराध के दोनो प्रकारों का उल्लेख किया।

अन्त, उपरोक्त सभी बिंदुओं की मदद से हमने आपको व अपने सभी पाठको को विस्तार से FIR Full Form in Hindi ।। एफ आई आर का मतलब क्या होता है? के बारे में, पूरी जानकारी प्रदान की।

सारांश

अन्त, हमने अपने इस आर्टिकल में, आप सभी को FIR Full Form की जानकारी प्रदान और उम्मीद करते है कि, आपको हमारा ये आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा व आर्टिकल में, दी गई जानकारी आपके लिए मूल्यवान व मददगार सिद्ध हुई होगी।

यदि आपकी इससे संबंधित कोई समस्या व परेशानी है तो बेझिझक होकर आप हमें, कमेंट बॉक्स में, पूछ सकते है व साथ ही साथ अपने विचार व सुझाव हमें, जरुर कमेंट करके बतायें ताकि हम, इसी तरह के आर्टिकल आपके लिए लाते रहें।

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