Fatima Sheikh Biography in Hindi | Google Doodle Me Aaj Kiski Image Hai

Fatima Sheikh Biography in Hindi, फातिमा शेख का जन्मदिन, fatima sheikh hindi information, सावित्रीबाई फुले एंड फातिमा शेख

Fatima Sheikh Biography in Hindi:  हम जानते है कि, आप सभी निश्चित तौर पर ज्योतिबा फुले व सावित्री बाई फुले को जानते है, उनके योगदान को पहचानते है लेकिन हम, आज आपसे पूछना चाहते है कि, ज्योतिबा फुले व सावित्री बाई को घर से निकाले जाने के बाद ज्वलनशील सामाजिक विरोध को दर – किनार करते हुए उन्हें सहारा देने वाली आप फातिमा शेख को जानते है?

Fatima Sheikh Biography in Hindi

Fatima Sheikh Biography in Hindi

हम जानते है कि, आपका जबाव ’’ ना ’’ ही होगा और इसीलिए हम, आपको इस आर्टिकल में पूरे विस्तार के साथ Fatima Sheikh Biography in Hindi में फातिमा शेख की पूरी जीवनी को प्रस्तुत करेगे ताकि आप उनके जीवन को करीब से देख सकें और उनके जीवन से प्रेरणा व प्रोत्साहन प्राप्त कर सकें और यही हमारे इस आर्टिकल का मौलिक लक्ष्य है।

फातिमा शेख – संक्षिप्त परिचय

पूरा नामफातिमा शेख
जन्म तिथि9 जनवरी, 1831
जन्म स्थानपुणे
माता – पिताजानकारी उपलब्ध नहीं है
पहचानसमाज सुधारक
उपलब्धि1848 में अपने घर में पहले भारतीय स्व – देशी पुस्तकालय की स्थाना
कीर्तिभारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका

कौन थी फातिमा शेख?

सरल व सहज शब्दो मे कहा जाय तो फातिमा शेख एक समाज सुधार, दलित वर्ग की उत्थान कर्ता, मुस्लिम समाज की विकासकर्ता और तमाम रुढ़िवादियों को चुनौती देते हुए महिला शिक्षा प्रबलतम समर्थक के तौर पर जानी औऱ पहचानी जाती थी जो कि, अपने भाई उस्मान खेश के साथ रहा करती थी।

साल 1848 में फातिमा शेख, उनके भाई उस्मान शेख, ज्योतिबा फुले व सावित्री बाई फुले ने, मिलकर साल 1848 मे, अपने घर की छत के नीचे एक स्व – देशी पुस्तकालय की स्थापना की जिसमे समाज के सभी पिछड़े वर्गो की महिलाओँ, बच्चो व युवाओं को शिक्षित किया जाता था और इसी वजह से उन्हे चारो तरफ से विवाद का शिकार होना पड़ा था।

फतिमा शेख का जन्म कब, कहां और किस परिस्थिति में हुआ था?

प्रसिद्ध समाज – सुधारक श्री. ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ कदम से कदम मिलाकर समाज – सुधार की अखंड अलख जलान वाले फातिमा शेष का जन्म 9 जवनरी, 1831 को पुणे में हुआ था। उनके माता – पिता के बारे में हमारे पास अधिक जानकारी नहीं लेकिन हम जल्द ही उनके माता – पिता की भी पूरी जानकारी ले आपके सामने प्रस्तुत होंगे।

फातिमा शेख सदैव विवाद का शिकार क्यूं होती थी?

जैसा कि, हमने आपको बताना कि, फातिमा शेख का जन्म मूलौतर पर 9 जनवरी, 1831 को पुणे में हुआ था और ये दौरा रुढ़िवादियो, दकियानुसी परम्पराओ और झूठी शान था जिसमें फातिमा शेख द्धारा निचली व पिछड़ी जातियो के सामाजिक व आर्थिक विकास के साथ ही साथ उत्थान के लिए उन्हें शिक्षित किया जाता था और यही उस उनके विवाद का शिकार होने की मुख्य वजह हुआ करती थी।

पहला भारतीय स्व – देशी पुस्तकालय कहां खोला गया?

हम आपको बताना चाहते है कि, साल 1848 में पहला भारतीय स्व – देशी पुस्तकालय मूलतौर पर फातिमा शेख की छत के नीचे खोला गया गया था जहां पर फातिमा शेष, ज्योतिबा फुले व सावित्री बाई फुले आदि समाज के दबे – कुचले वर्गो जैसे कि – दलित समाज, मुस्लिम समाज, अछूत समाज व घृणा के पात्र समाज के सदस्यो को शिक्षित किया जाता था जो कि, उसे समाज के ठेकेदारो को असहनीय हो गया था।

स्व – देशी पुस्तकालय को खोलने के पीछे की पृष्ठभूमि क्या है?

आइए अब हम आपको कुछ बिंदुओं की मदद से स्व – देश पुस्तकालय को खोलने की पूरी पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान करते है जो कि, इस प्रकार है –

  1. ज्योतिबा फुल, सत्य शोधक समाज के संस्थापक हुआ करते थे और खुले विचारो के समाज सुधारक माने जाते थे और इसीलिए उन्होंने स्वयं ही अपनी पत्नी को शिक्षित किया जिसके लिए उनके अपने परिवार के सदस्यो से लेकर समाज के सदस्यो द्धारा उन्हे अपनी रोष का शिकार बनाया गया,
  2. सावित्रीबाई फुले की मित्र हुआ करती थी फातिमा शेख और उन्हीं के साथ मिलकर वे चोरी – छुपे महिलाओँ को शिक्षित करने का कार्य किया करती थी,
  3. इसी दौरान ज्योतिबा फुले की एक मित्र की बहन के साथ किसी उच्च जाति के सदस्य  शारीरिक संबंध स्थापित किये और जब वो गर्भवती हो गई तो वो उच्च जाति का पुरुष उसे गर्भपात करने के लिए मजबूर करने लगा,
  4. ऐसी स्थिति में उस गर्भवती महिला का घर में व समाज में रहना मुश्किल हो गया था जिसकी वजह से उन्होने अपनी बहन को समाज सुधारक ज्योतिबा फुले के यहां लाये और उनसे मदद मांगी,
  5. इसके बाद ज्योतिबा फुले ने, खुले दिल से उनकी मदद की और उनकी बहन को कुछ दिन अपने घर रक्खा और इसके बाद फातिमा शेख के घर रखा जिसके बाद मामला धीरे  – धीरे ठंडा हो गया,
  6. इसके बाद ज्योतिबा फुले ने, अपनी पत्नी अर्थात् सावित्रीबाई फुले को शिक्षा प्राप्ति के बाहर भेजना शुरु लिया लेकिन एक दिन कुछ समाज के ठेकेदारो के इशारो पर उनकी पत्नी सावित्री बाई फुले पर रास्ते में ही पथराव किया गया जिसकी वजह से वे धायल हो गई,
  7. इसी दुर्घटना से उनके ससुर बेहद चिन्तित हुए औऱ ज्योतिबा फुल को ये सब बंद करने के लिए कहा लेकिन जब ज्योतिबा ने, ये सब बंद करने से मना कर दिया तो उनके पिता जी ने, तैश में आकर उन्हें घर  बाहर निकाल दिया और उन्ही के पीछे – पीछे सावित्री  बाई भी निकल गई,
  8. पिता द्धारा घर से निकाले जाने के बाद ज्योतिबा फुले ने, फातिमा शेख के घर में आसरा लिया और शैक्षणिक व समानता के इस आंदोलन को तेजी से आगे बढ़ाने का फैसला किया और इसी के फलस्वरुप साल 1848 मे फातिमा शेख की छत के नीचे पहला भारतीय स्व – देश पुस्तकालय खोला गया जिसमें मुस्लिम समाज, दलित समाज और पिछड़ी जातियो की महिलाओ, बच्चो व युवाओं को शिक्षित किया जाता था जिसके वजह से उन्हे भारी विरोध का सामना करना पड़ा है।

अन्त, इस प्रकार हमने आपको विस्तार से इसकी पूरी पृष्ठभूमि की जानकारी प्रदान की।

फातिमा शेख को किन – किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

  1. फातिमा शेख द्धारा शैक्षणिक कार्य शुरु करने के बाद राहे – पैरारे आते – जाते उन पर गोबर फेंका जाता था,
  2. फातिमा शेख व सावित्रीबाई फुले पर कई बार पथराव किया गया था,
  3. उनके खिलाफ विरोध – प्रदर्शन किये जाते थे ,
  4. उन पर अपनी शैक्षणिक गतिविधियो को रोकने के लिए हर संभव प्रयास से दबाव बनाया जाता था लेकिन इन तमाम अवरोधो का सामना करते हुए फातिमा शेख ने, अपनी शैक्षणिक गतिविधियो को लगातार जारी रखा।

फातिमा शेख – सम्मान व उपलब्धियां?

यहां पर हम, आपको कुछ बिंदुओं की मदद से फातिमा शेख द्धारा अर्जित सम्मान व उपलब्धियों की जानकारी प्रदान करेगे जो कि, इस प्रकार से हैं –

  1. गुमनाम समाज सुधारक व महिला उत्थानकर्ता फातिमा शेख द्धारा अपने सहयोगियो द्धारा मिलकर समाज के पिछड़े वर्गो की महिलाओं, बच्चो व युवाओं को शिक्षित करने का कार्य किया जाता था औऱ इसी वजह से फातिमा शेख के भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षिक होने का गौरव प्राप्त है,
  2. फातिमा शेख ने, पूरे समाज व समाज के ठेकेदार कहे जाने वाली उच्च जातियो के भारी विरोध व आक्रोश के बाद भी अपने घर में भारत का पहला स्व – देशी पुस्तकालय खोलना और शिक्षा का प्रचार – प्रसार किया है,
  3. फातिमा शेख के खिलाफ जब पूरा समाज विरोधी स्वर उठा रहा था जब उनके भाई उस्मान शेख ने, उनका पूरा साथ दिया और इस आंदोलन को अपना पूर्ण समर्थन देते हुए फातिमा शेख का हर मोड़ पर साथ दिया।

इस प्रकार हमने आपको उनको प्राप्त सम्मान व उपलब्धियो की जानकारी प्रदान की।

क्या हम न्याय कर पाये है फातिमा शेख के साथ?

निर्भीक शब्दो मे कहा जाये तो ’’ नहीं ’’ क्योंकि आज हम प्रसिद्ध समाज सुधारक ज्योतिबा फुले को अपना आदर्श मानते है, सावित्रीबाई फुले को आदर्श मानते है लेकिन जब इन समाज सुधारको का विरोध किया गया और इन्हें घर से निकाल दिया गया तब इन समाज सुधारको को सहारा देने वाली और पूरा आक्रोश, विरोध, दबाव, आलोचना और प्रत्यालोचना को सहर्ष शिरोधार्य करने वाले फातिमा शेख को हम, नहीं जानते है और ना ही उनकी चर्चा की जाती है इसीलिए हम, कहेंगे कि, हमने फातिमा शेख के साथ न्याय तो नहीं लेकिन अन्याय ही किया है।

निष्कर्ष

Fatima Sheikh Biography in Hindi को समर्पित अपने इस आर्टिकल में हमने आपको विस्तार से फातिमा शेख के जीवन परिचय और समाज सुधारक छवि परिचित करवाया और आपसे अनुरोध करते है कि, आप जब – जब समाज सुधार के क्षेत्र में ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फुले व अन्य समाज सुधारको की प्रशंसा के गीत गाये तो कृप्या करके भारत की पहली मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख को भी याद करें और उनके योगदान का प्रचार – प्रसार करें।

अन्त हम उम्मीद करते है कि, आपको हमारा ये आर्टिकल बेहद पसंद आया होगा जिसे लिए आप हमारे इस आर्टिकल को शेयर करेगे और साथ ही साथ अपने विचार व सुझाव भी Share करेंगे।

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