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सच्ची पत्नी में होते हैं यह खास गुण:
मेरा तो मानना यह है कि जिस व्यक्ति को भी इस जीवन में सच्ची पत्नी मिल गई तो समझ लीजिए उसका स्वर्ग यहीं है।
पत्नी की सच्चाई यही है कि वह अपने पति से कोई भी बात ना छुपाए यदि वह कोई बात छुपाती है तो समझ लीजिएगा उसमें सच्चाई नहीं है कहने का अर्थ यह है कि वह आपसे झूठ भी बोलती होगी।
सच्चा मित्र भी वही है जो आपसे किसी भी तरह का कोई भी राज या बात ना छुपाए।
इसीलिए तो कहते हैं-
“सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों में,
और खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से”
तो दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे कि सच्ची पत्नी में यह खास गुण होते हैं जो उसकी सच्चाई को प्रदर्शित करते हैं।
अध्ययन कितने लोगों के साथ करना उचित होता है:
बड़े-बड़े विद्वानों और ऋषि-मुनियों का मानना है कि अध्ययन हमें 2 लोगों के साथ ही करना चाहिए अर्थात दो मित्र एक साथ अध्ययन कर सकते हैं।
तथा अध्ययन करने के लिए कहीं शांत वातावरण को चुनना चाहिए तथा अध्ययन करने के लिए कहीं शांत वातावरण को चुनना चाहिए अध्ययन करने के लिए एक शांत माध्यम का होना बहुत ज्यादा ही आवश्यक होता है।
अध्ययन करने के लिए एक शांत मध्यम का होना बहुत ज्यादा ही आवश्यक होता है वैसे तो कुछ लोग कहते हैं की अध्ययन करने वाले के लिए कहीं भी समस्या नहीं है चाहे वह शांत वातावरण में रहे या वाहनों के हार्न की आवाज में इससे उसे कोई फर्क़ नहीं पड़ता लेकिन विद्वानों का यही मानना है कि शान्त वातावरण अध्ययन के लिए उचित होता है।
अध्ययन करने के लिए दो मित्रों का एक साथ अध्ययन करना इसलिए बताया गया है यदि किसी मित्र को किसी बात की सटीक जानकारी नहीं है तो वह अपने दूसरे मित्र से मदद ले सकता है।
और ज्यादा लोगों के साथ रहना इसलिए उचित नहीं होता है कि ज्यादा लोगों के साथ रहने से लड़ाई झगड़ा भी होने लगता है इसलिए दो मित्रों का एक साथ पढ़ना उचित माना गया है।
ऐसे कर सकते हैं देश से दरिद्रता का नाश:
दरिद्र लोगों का कहीं देश नहीं होता वे ऐसे ही देश में जहां तहां मारे मारे फिरते हैं ना वे देश प्रेमी होते हैं और ना ही देशद्रोही होते हैं अर्थात उन्हें सिर्फ अपनी दरिद्रता से मतलब होता है।
दरिद्र लोगों का नाश करने के लिए समय-समय पर महान सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कदम उठाए हैं जिस प्रकार राजीव दीक्षित जी ने देशद्रोहियों और दरिद्र लोगों को जवाब दिया है अगर वैसे ही जवाब देने वाले भारत में और भी सामाजिक लोग हो जाएं तो शायद ही बाहर देश से देशद्रोह और दरिद्रता का शब्द ही खत्म हो जाएगा।
राजीव दीक्षित भाई से तो आप परिचित होंगे ही यदि आप परिचित नहीं हैं तो आपको बता दें कि राजीव दीक्षित जी ने देश के लिए अनेक सामाजिक कार्य किए हैं इसीलिए राजीव दीक्षित जी को लोग राजीव दीक्षित भाई के नाम से बुलाते हैं क्योंकि उन्होंने देश के हित में अनेक बेहतर कार्य किए हैं।
अब बात आती है कि देश से दरिद्रता को कैसे दूर किया जाए तो मैं बस यही कहना चाहूंगा कि राजीव दीक्षित भाई के जैसे कुछ लोगों का देश में होना अति आवश्यक है जो अपनी आवाज को बिना किसी डर के लोगों तक यानी आम जनता तक पहुंचा सकें जिससे लोगों में सकारात्मक विचार आएं और वह दरिद्र लोगों के खिलाफ आवाज भी उठा सकें तो दोस्तों ऐसे ही दरिद्रता का नाश हो सकता है।
वृद्धावस्था में युवा स्त्रियों से इसलिए दूर रहना चाहिए:
यूं तो दूसरी स्त्रियों से सभी को दूर ही रहना चाहिए और सभी को अपनी स्त्रियों के साथ प्रेम व्यवहार करना चाहिए।
इसीलिए कहते हैं कि यदि आप दूसरी स्त्रियों के प्रेम प्रसंग में फंस जाएंगे तो आप अपनी स्त्री से प्रेम नहीं करेंगे यह बात तो बिल्कुल सही है ।
आजकल हमने बहुत से लोगों को देखा है कि अपनी स्त्री को छोड़कर किसी अन्य स्त्री से प्रेम प्रसंग रचाते हैं जिससे उनके घर में समस्याएं आना शुरू हो जाती हैं और समस्याएं बढ़ते बढ़ते काफी नकारात्मक विचार ला देती हैं जिससे कई स्थितियों में तो लोग अपनी जान देने की हद तक पहुंच जाते हैं और अपनी जान दे देते हैं इसलिए मैं तो आपसे यही कहना चाहूंगा कि दूसरी स्त्रियों के प्रेम प्रसंग से बचें और अपनी स्त्री से अत्यंत प्रेम के साथ रहें।
वहीं यदि बात करें वृद्ध जनों की तो वृद्ध जनों को अपनी वृद्धावस्था में बहुत ही ढंग से रहना चाहिए अर्थात दूसरी स्त्रियों की ताक झांक बिल्कुल नहीं करनी चाहिए इससे उनके चरित्र पर बहुत नकारात्मक असर पड़ता है इसीलिए कहा गया है कि वृद्ध लोगों को स्त्रियों के संपर्क में नहीं रहना चाहिए।
जिस धर्म में दया ना हो उस धर्म को इसलिए त्याग देना चाहिए:
दया भाव से ही किसी मनुष्य के आचरण और व्यवहार की पहचान होती है जो व्यक्ति दया भाव हृदय रखता है उससे उसके सभी मित्र और पारिवारिक लोग हमेशा प्रसन्न रहते हैं।
कहने का अर्थ यह है कि दया ही न रखने वाला मनुष्य ना तो अपने मित्रों का होता है और ना ही अपने परिवार के सदस्यों का अर्थात दयाहीन हृदय वाला व्यक्ति दयाहीन ही होता है।
दया भाव रखने वाले व्यक्ति की मुख्य पहचान यह होती है कि वह अपने पास पड़ोस में रहने वाले पशु पक्षियों और जानवरों के साथ दया भाव दिखाता है।
हमें चाहिए होता है कि गर्मियों के दिनों में हम अपनी-अपनी छतों पर पानी का प्रबल प्रबंध करें ताकि इतनी गर्मी होने के कारण किसी पशु पक्षी की मृत्यु ना हो जाए और इसलिए हमें अपनी छतों पर पानी का प्रबल प्रबंध करना चाहिए जिससे वह पशु पक्षी उसे पीकर और उसमें नहा कर अपनी जान को बचा सकें।
तो दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे कि दया भाव और दया ही व्यक्तियों में क्या अंतर होता है।
Thanks yara