विवाह करने का सही समय और तरीका | Chanakya thought in hindi

विवाह करने का सही समय और तरीका:-

मित्रों हमें ऐसे परिवार या कुल में विवाह करना चाहिए जहां आपकी बात समझी या सुनी जाए ना कि ऐसी जगह जहां आपकी कोई इज्जत ना हो आचार्य चाणक्य जी ने बताया है कि जब भी हम कन्या का विवाह करें तो सबसे पहले उसके कुल के बारे में पूरी तरह से अच्छी तरह पता लगा लेना चाहिए ताकि बाद में कन्या को किसी भी समस्या का सामना ना करना पड़े क्योंकि बहुत से कुलों में दोष होते हैं जिससे कन्या को प्रताड़ित किया जाता है और उसे प्रसन्न नहीं देख पाते।

 

Chanakya thought in hindi
Chanakya thought in hindi

 

मित्रों सबसे पहले हमें ज्ञात कर लेना चाहिए कि हम कन्या का विवाह जिस घर में कर रहे हैं उसमें कोई दोष तो नहीं है अर्थात कुल में कोई दोष ना हो कन्या का विवाह वही करना चाहिए।

व्यवहार ही सबसे श्रेष्ठतम है:-

जिस मनुष्य का व्यवहार अच्छा होता है लोग उससे आकर्षित होते हैं वहीं जिस मनुष्य का व्यवहार ठीक नहीं होता लोग उसकी पीठ पीछे बुराई करते हैं और उससे कभी भी संतुष्ट नहीं होते हैं इसीलिए मनुष्य को सदैव किसी से मिलने पर प्रसन्नता जाहिर करनी चाहिए क्योंकि जब मनुष्य किसी से प्रसन्न मुद्रा में मिलता है तो सामने वाले को ऐसा महसूस होता है कि वह मनुष्य आपसे बातचीत करने के लिए उत्सुक है जिससे उस मनुष्य के भी दिमाग में आपके लिए ऐसे विचार आते हैं कि वह आपसे अपने मन के विचार खुल कर बता सके हमें चाहिए कि जब भी हम किसी से बात करें तो उसकी समस्याओं को भी अच्छे तरीके से सुने क्योंकि मनुष्य को सदैव अपनी समस्याओं को बताने का भी मन रहता है ना कि केवल आपकी समस्याएं सुनने का इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आचार्य चाणक्य जी ने बताया है कि जब भी हम किसी से मिले तो प्रसन्न मुद्रा में ही मिले जिससे सामने वाले मनुष्य के दिमाग में भी आपके लिए अच्छे विचार आएंगे।

 
 


दुष्ट और सांप में क्या अंतर होता है:-

सांप का काट लेना बेहतर होता है ना कि दुष्ट व्यक्ति से वार्तालाप क्योंकि सांप तो आपको एक बार ही काटेगा लेकिन दुष्ट व्यक्ति आपको बार-बार काटेगा इसलिए दुष्ट व्यक्ति से हमेशा दूरी बना कर रखना चाहिए दोस्तों मान लीजिए आपने किसी व्यक्ति से किसी कार्य में सहकारिता कर ली कुछ दिन बाद ही बाद दुष्ट व्यक्ति आपको क्षति पहुंचाना शुरू कर देगा और धीरे-धीरे आपके आस्तीन का सांप बन जाएगा इसीलिए सबसे ज्यादा खतरनाक दुष्ट व्यक्ति का ससर्ग बताया है इसलिये आपको दुष्ट व्यक्ति के साथ किसी भी कार्य में साझेदारी नहीं करनी चाहिए क्योंकि दुष्ट व्यक्ति का जब भी मौका लगेगा तो वह आपको हानि ही पहुंचाएगा इसीलिए आचार्य चाणक्य जी ने दुष्ट व्यक्ति से दूर रहने के लिए बताया है।

अच्छे लोगों का कभी भी साथ ना छोड़े:-

आप जिस व्यक्ति को पूरी तरह से भाप लें और समझ ले की यह व्यक्ति व्यवहार का अच्छा है तो आपको उसके साथ ही रहना चाहिए अर्थात् उसका साथ कभी जीवन में नहीं छोड़ना चाहिये।
कलयुग में बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो आपको इज्जत देंगे और आप उनसे संतुष्ट होंगे आज के इस कलयुग में बहुत कठिनाई से आपको इज्जत देने वाले लोग मिलते हैं क्योंकि देवताओं बहुत पहले ही इस बात को स्पष्ट कर दिया था इसीलिए कहा गया है कि कलयुग में एक ऐसा वक्त भी आएगा जहां लोग आपकी पीठ पीछे आपकी बेइज्जती करने की बात करेंगे और आपके सामने आपकी भलाई करेंगे इसीलिए अच्छे लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

 
 

इसलिए मर्यादा बनाकर रहना चाहिए:-

बहुत से लोग जरा सी विपत्ति आने पर अपनी मर्यादा खो देते हैं और और अपने मुख्य कार्य में असफल हो जाते हैं इसलिए हमें चाहिए कि विपत्ति आने पर हम मर्यादा बनाकर रखें और विपत्ति का डटकर सामना करें ना कि उससे पीछे हटे क्योंकि पीछे हटने वाले लोग हमेशा असफल होते ही हैं और जो व्यक्ति विपत्ति का सामना डटकर करते हैं वे एक ना एक दिन अवश्य सफल होते हैं इसीलिए कहा गया है कि हमें अपना कार्य धैर्य के साथ करना चाहिए और तब तक पीछे मुड़कर ना देखें जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना कर ले क्योंकि वही लोग सफल होते हैं जो लक्ष्य प्राप्त करने से पहले पीछे मुड़कर नहीं देखते इसीलिए कहा गया है किसी भी कार्य को करने के लिए मर्यादा बनाकर रखना चाहिए।

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