मनुष्य को अपने दिमाग में इन बातों को भी रखना चाहिए | chanakya niti full in hindi

मनुष्य को अपने दिमाग में इन बातों को भी रखना चाहिए:-

खुद में बुद्धिमान होने से कोई भी व्यक्ति बुद्धिमान नहीं होता बुद्धिमान तो वह व्यक्ति है जिसे संसार में लोग उसके कार्य के बल पर बुद्धिमान कहें अर्थात कहने का भाव यह है कि मनुष्य अपने कार्यों से ही बुद्धिमान या मूर्ख कहलाता है अब बात आती है कि बुद्धिमान बनने के लिए हमें किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए सबसे पहली बात यह है कि मनुष्य को अपने मित्रों पर ध्यान देना चाहिए कि उसके मित्र कैसे हैं और किस स्वभाव के हैं अर्थात अपने मित्रों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए यदि आपको किसी मित्र का स्वभाव ठीक नहीं लगता है तो सबसे पहले आपको अपने मित्र को समझाना चाहिए और उसे सही दिशा में कार्य करने के लिए उत्साहित करें अगर वह फिर भी आपकी बात नहीं मानता है तो आपको उससे धीरे-धीरे दूरी बना लेना चाहिए।
chanakya niti full in hindi
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अब बात आती है कि मनुष्य को अपने समय पर भी ध्यान देना चाहिए कि उसका समय कैसा चल रहा है और उसे किस तरह से लोगों के सामने व्यवहार करना है।और इसके बाद मनुष्य को अपने निवास स्थान पर ध्यान देना चाहिए कि वह जिस जगह पर निवास करता है उस जगह का वातावरण या रहन सहन कैसा है मैं आपको एक बात और बताना चाहूंगा कि माहौल ही मनुष्य को सही या गलत दिशा में ले जा सकता है अर्थात अच्छा माहौल एक सफल जीवन व्यतीत करने के लिए महत्वपूर्ण होता है।

 

 

मनुष्य को कितना पैदल चलना चाहिए:-

मनुष्य को चाहिए कि वह अपने दिनचर्या के कार्य हमेशा अपने आप करें इससे यह फायदा होगा अपना कार्य स्वयं करने से मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास जागता है और उसे हर कार्य को करने का अनुभव होता है।
अगर बात करें कि मनुष्य को पैदल कितना चलना चाहिए तो मैं आपसे यही कहना चाहूंगा कि मनुष्य को दिन भर में 1 या 2 किलोमीटर तो पैदल जरूर चलना चाहिए जिससे उसके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बनी रहेगी और वह स्वस्थ जीवन व्यतीत कर पाएगा तथापि मैं तो आपसे पैदल चलने के बारे में यह कहना चाहूंगा कि हर मनुष्य को सुबह उठते ही कुछ देर तक दौड़ लगाना चाहिए जिससे सुबह होते ही हमारे शरीर में पसीना बहेगा और उस पसीने की वजह से हमारे शरीर में जो भी कीटाणु मौजूद होंगे वह निकल जाएंगे जिससे हमारा शरीर निरोग हो जाएगा ऐसा करने से दिन भर आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे और खुद पर आत्मविश्वास बढ़ेगा।
अक्सर आपने देखा होगा कि जो भी लोग आपसे मिलते होंगे उनमें से कुछ लोग आपसे यह बोलते होंगे कि मैं कोई भी कार्य करने में समर्थ हूं और पूरी मेहनत और ऊर्जा के साथ कर सकता हूं लेकिन कुछ लोग आपको ऐसे भी मिलते होंगे कि आप से बोलते होंगे कि मैं यह कार्य नहीं कर सकता लेकिन सच्चाई तो यह है कि पूरी लगन और मेहनत से जो कार्य किया जाए वह होकर ही रहता है यहीं पर बात आती है आत्मविश्वास की अर्थात कहने का भाव यह है कि आत्मविश्वास ही किसी कार्य को करने या ना करने का सबसे बड़ा कारण होता है इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह अपना कार्य स्वयं करें जिससे उसके अंदर आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और कार्य को करने का अनुभव भी प्राप्त होगा।

संसार में मात्र माता पिता ही पूजने योग्य होते हैं:-

अगर बात करें कि मनुष्य को किसकी पूजा करनी चाहिए तो मैं सबसे पहले यही कहना चाहूंगा कि हर मनुष्य को अपने माता पिता को सबसे पहले सम्मान देना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए उसके बाद आप पूजा करें या किसी तीर्थ स्थान पर जाएं सब कुछ आपके लिए ठीक ही होगा लेकिन अपने माता पिता को सबसे पहले सम्मान देना सीखिए।
अगर बात करें तो आज कल की दुनिया में बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो अपने माता पिता को प्रसन्न ना रखकर तीर्थ यात्रा या पूजा पाठ में बहुत ज्यादा ध्यान लगाते हैं लेकिन उन्हें इस बात का अनुभव नहीं कि माता-पिता नाराज होंगे तो उनके द्वारा किया गया पूजा पाठ भी व्यर्थ जाएगा।
इसलिए मनुष्य को चाहिए कि सबसे पहले वह अपने माता-पिता को प्रसन्न रखें उसके बाद आप पूजा पाठ भी कर सकते हैं लेकिन सबसे पहला धर्म और कर्म अपने माता पिता को प्रसन्न रखना ही है क्योंकि माता-पिता प्रसन्न होंगे तो वह भी आपको आशीर्वाद देंगे जिससे आपके द्वारा किया गया पूजा पाठ भी अच्छा रहेगा।

जन्म देने वाली तो सिर्फ मां ही होती है लेकिन मां के जैसे भी कुछ लोग होते हैं:-

अगर बात करें सम्मान की तो सबसे पहले तो हमें अपनी मां को सम्मान देना चाहिए लेकिन संसार में सम्मान सभी को प्रिय होता है संसार में मातृत्व व्यवहार करने के लिए अपने राजा की पत्नी होती है इसके बाद आपको अपने गुरु की पत्नी के साथ भी मातृत्व व्यवहार ही करना चाहिए अगर बात करें मित्र की तो आपको मित्र की माता से भी मातृत्व व्यवहार करना चाहिए।
अब बात आती है कि स्वयं की पत्नी की माता के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए इस बात को लेकर मैं आपसे इससे पहले यह कहना चाहूंगा कि अगर आप सम्मान चाहते हैं तो आपको दूसरों को भी सम्मान देना होगा।
यदि आप अपनी पत्नी की मां के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो निश्चित ही आपकी पत्नी भी आपकी माता के साथ अच्छा व्यवहार करेगी इससे यह होगा कि यदि आप अपनी पत्नी की मां के साथ जैसा व्यवहार करेंगे उसी तरह आपकी पत्नी भी आपकी मां के साथ व्यवहार करेगी अर्थात हमें चाहिए कि अपनी पत्नी की मां को अपनी मां के समान ही समझे।
इसीलिए कहते हैं कि संसार में मां तो जन्म देने वाली होती है लेकिन मां के समान भी कुछ स्त्रियां होती हैं जिन्हें मां के समान ही सम्मान देना चाहिए।

ईश्वर हर जगह विराजमान होता है:-

संसार में रहने वाले सभी धार्मिक लोगों का मानना है कि ईश्वर हर जगह विद्यमान है अर्थात कोई जगह ऐसी नहीं है जहां ईश्वर का अस्तित्व ना हो कहने का अर्थ यह है कि किसी भी धर्म चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिम या सिख और या तो ईसाई होे लेकिन सभी धार्मिक लोगों का मानना यही है कि ईश्वर एक है और हम सब उसके मानने वाले हैं संसार में बहुत से विद्वान हुए हैं जिन्होंने अपने-अपने मत दिए हैं लेकिन सभी धार्मिक विद्वानों ने यही बताया है कि ईश्वर सिर्फ एक ही है।
अगर बात करें हिंदू धर्म की तो उसमें भी मुनियों और देवताओं ने यही बताया है कि जो ईश्वर है वह एक ही है और उसके बाद ईश्वर के अवतार भी संसार में आए लेकिन ईश्वर वही एक है जो संसार में सबसे बड़ा है।
संसार में बहुत से धार्मिक ग्रंथ उपलब्ध हैं लेकिन किसी भी धार्मिक ग्रंथ में कोई गलत भाषा का प्रयोग या गलत बात का उदाहरण नहीं दिया गया है अर्थात सभी धार्मिक ग्रंथों में कर्म ही पूजा है को सबसे ज्यादा मुख्य आकर्षण माना गया है।

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